History – सरदार भगत सिंह और महात्मा गांधी दोनो ही हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानी है। अँग्रेजी हुकूमत से देश को आजादी दिलाने के लिये भगत सिंह और महात्मा गांधी ने अपनी अपनी नीतियों का प्रयोग करते हुए हर सम्भव प्रयास किया। आज अगर हम आजाद भारत में स्वास ले रहे हैं तो इसके पीछे संघर्ष सिर्फ हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों का रहा है।
सरकार भगत सिंह और महात्मा गांधी दोनो ही अलग अलग विचारधारा के लोग थे। जहाँ महात्मा गांधी हर समस्या का समाधान शान्ति से निपटाने में विश्वास रखते थे। वही अगर हम बात भगत सिंह की करे तो यह काफी उग्र स्वभाव के थे और बचपन से ही अंग्रेजों से काफी चिढ़ते थे। भगत सिंह थोड़े आक्रमक थे वह अंग्रेजों के प्रहार का जवाब उनके ही लहजे में देना जानते थे। भगत सिंह के इस व्यवहार के कारण महात्मा गांधी और इनके बीच कुछ खास समन्वय नही रहा है।
इतिहास में ऐसी कहानियां भी वर्णित है कि महात्मा गांधी और भगत सिंह की कभी नही बनती थी। दोनो एक दूसरे को बिल्कुल नही पसन्द करते थे। लेकिन आज हम आपको बताते जा रहे हैं गांधी एक लेख के माध्यम से गांधी का भगत के प्रति व्यवहार। इस लेख के तत्वों से आपको यह समझ आ जायेगा की महात्मा गांधी भगत सिंह के बारे में आखिर सोचते क्या थे। वही उनके अंग्रेजों से लड़ने के तरीके पर गांधी का क्या मत था।
जाने क्या लिखा भगत सिंह के लिये गांधी ने….
23 मार्च के दिन क्रांतिकारी भगत सिंह (Bhagat Singh), सुखदेव और राजगुरु को फांसी लगा दी गई थी। भगत सिंह की मौत के बाद महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय अभिलेखागार की ओर से प्रकाशित ‘अभ्युदय के भगत सिंह विशेषांक व अन्य अंकों पर आधारित’ किताब में दी गई। इसमे उन्होंने लिखा मैंने भगत सिंह को लाहौर के बाल्यकाल में देखा। कई बार उनके पराक्रम की कहानियों को सुना। सुना था कि वह आजादी के दीवाने हैं। भगत का एक मात्र उद्देश्य देश को बेड़ियों से मुक्त करवाना है।
उन्होंने आगे लिखा मैं समझता हूं उसका साहस अतुलनीय था। उनके गुणों के कारण हम इस बात को भूल जाते हैं कि उन्होंने अपने साहस का दुरुपयोग किया. ऐसे युवक और उसके साथियों की फांसी ने उनके सिर पर शहादत का ताज रख दिया है। आज तक मैंने नही देखा की किसी की मौत पर इतना दुख प्रकट किया गया हो। मैं उन नवयुवक देशभक्तों की स्मृति में जो कुछ भी प्रशंसा के भाव कहे जा सकते हैं, उनके साथ अपने आप को सम्मिलित करता हूं, मैं देश के नौजवानों को उनके उदाहरण करने के विरुद्ध सावधान करना चाहता हूं।
गांधी ने आगे कहा, हमे उनकी कुर्बानी को याद रखना चाहिए। उनके गुणों का उपयोग उसी प्रकार करना चाहिए जिस प्रकार वह चाहते थे। हमारे देश को आजादी हत्या से नही मिलनी चाहिए। हमे अपनी शक्ति को नही भूलना चाहिए। हमे क्रांति की ओर बढ़ना चाहिए और उनके लक्ष्य को हासिल करना चाहिए। सरकार ने बड़ी गलती की है भगत को फांसी देकर लेकिन हमें यह मौका नही त्यागना चाहिए। हमे आजादी के लिये प्रयास करना चाहिए हमे भगत के लिये प्रयास करना चाहिए।