Toll Tax : नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर रोजाना सफर करने वाले लाखों वाहन चालकों के लिए बड़ी राहत की खबर आ सकती है! केंद्र सरकार जल्द ही टोल टैक्स के बोझ को कम करने के लिए दो अहम प्रस्तावों पर विचार कर रही है। अगर ये प्रस्ताव लागू हो गए, तो आपकी जेब पर पड़ने वाला टोल का भार काफी हद तक कम हो सकता है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने इन प्रस्तावों को मंजूरी भी दे दी है।
क्या हैं वो 2 बड़े प्रस्ताव जिनसे मिलेगी राहत?
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पतले हाईवे पर टोल खत्म!
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प्रस्ताव: पहला और सबसे अहम प्रस्ताव यह है कि ऐसे नेशनल हाईवे जो सिर्फ ढाई लेन के हैं या पक्की सड़क वाले दो लेन (संकरी सड़कें) हैं, उन पर कोई टोल टैक्स नहीं वसूला जाएगा।
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फायदा: इससे छोटे और कम चौड़े हाईवे पर सफर करने वालों को सीधी राहत मिलेगी।
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सरकारी नजरिया: सूत्रों के मुताबिक, इन सड़कों पर वैसे भी टोल कलेक्शन बहुत ज्यादा नहीं होता (बड़े हाईवे की तुलना में 64% कम) और देशभर में ऐसे 50 से भी कम टोल प्लाजा हैं। इनमें से ज्यादातर सरकारी फंड से बने हैं, इसलिए इन्हें टोल-फ्री करने से सरकार को बहुत ज्यादा आर्थिक नुकसान होने का अनुमान नहीं है।
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कारों के लिए ‘अनलिमिटेड ट्रैवल पास’?
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प्रस्ताव: दूसरा दिलचस्प प्रस्ताव यह है कि निजी कारों के लिए सालाना ₹3000 का अनलिमिटेड ट्रैवल पास जारी किया जा सकता है। यानी, एक बार 3000 रुपये दीजिए और साल भर बिना किसी अतिरिक्त टोल के नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर सफर कीजिए!
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फायदा: यह उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है जो अक्सर लंबे रूट पर या कई बार हाईवे का इस्तेमाल करते हैं।
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चुनौती: इस प्रस्ताव को लागू करने में थोड़ी चुनौती है। चूंकि ज्यादातर 4-लेन या उससे बड़े हाईवे पर टोल निजी कंपनियां वसूलती हैं, इसलिए इस पास से होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई सरकार को करनी होगी।
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गडकरी पहले ही दे चुके हैं संकेत:
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कई बार सार्वजनिक मंचों से कह चुके हैं कि सरकार हाईवे यात्रियों को टोल में राहत देने पर विचार कर रही है। उन्होंने पहले भी प्राइवेट गाड़ियों के लिए सालाना या लाइफटाइम पास जैसे विकल्पों की बात कही थी।
अब आगे क्या?
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सड़क परिवहन मंत्रालय ने इन दोनों प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है।
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अब इन्हें वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया है, क्योंकि इन्हें लागू करने से सरकार की टोल से होने वाली कमाई (जो 2024-25 में करीब ₹61,000 करोड़ थी) कम होगी।
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वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद ही इन प्रस्तावों को लागू किया जा सकेगा।
कितनी है टोल से कमाई?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कुल टोल कलेक्शन में निजी गाड़ियों (कारों) की हिस्सेदारी लगभग 20-21% है, जबकि बाकी 79-80% कमाई कमर्शियल और भारी वाहनों से होती है। अगर ये प्रस्ताव हकीकत बनते हैं, तो यह निश्चित रूप से देश के करोड़ों वाहन चालकों के लिए एक बड़ी सौगात होगी। अब सबकी नजरें वित्त मंत्रालय के फैसले पर टिकी हैं!