India-China Trade

India-China Trade: चीन ने बरसाए वीज़ा! 3 महीने में 85 हज़ार+ भारतीय खुश, पाक एक्सपर्ट बोले- ‘बधाई इंडियंस, अब ड्रैगन का भी भारत बिना…’

India-China Trade: भारत और चीन के रिश्तों को लेकर एक बड़ी और थोड़ी चौंकाने वाली खबर सामने आई है! अमेरिका के साथ चल रही तनातनी (टैरिफ वॉर) के बीच, चीन ने इस साल के पहले तीन महीनों (जनवरी से अब तक) में ही 85,000 से ज़्यादा भारतीयों को वीज़ा जारी कर दिए हैं! इस तेज़ी पर पाकिस्तान के जाने-माने एक्सपर्ट कमर चीमा ने दिलचस्प टिप्पणी करते हुए कहा है, “बधाई हो इंडियंस! लगता है अब चीन को भी समझ आ गया है कि भारत के बिना गुज़ारा मुश्किल है।”

आखिर क्यों बदला चीन का रुख? पाक एक्सपर्ट ने खोला राज़!

कमर चीमा का मानना है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का रवैया अब 2020 वाला नहीं रहा, जब उन्होंने भारत के साथ सख्ती दिखाई थी। चीमा के अनुसार, अब जिनपिंग समझ चुके हैं कि:

  1. भारत एक बहुत बड़ा बाज़ार है: जिसे चीन नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता, खासकर जब अमेरिका टैरिफ बढ़ा रहा हो। टैरिफ बढ़ने से चीनी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा, जिसका डर उन्हें सता रहा है।

  2. भू-राजनीतिक मजबूरी: चीन नहीं चाहता कि भारत किसी भी चीन-विरोधी गठबंधन (जैसे इंडो-पैसिफिक रणनीति) का मज़बूती से हिस्सा बने। इसलिए, वह भारत को ‘खुश’ रखने की कोशिश कर रहा है।

  3. ट्रंप फैक्टर: जिनपिंग को अंदाज़ा था कि अगर डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में वापस आते हैं, तो वह चीन पर और ज़्यादा दबाव बनाएंगे। इसलिए उन्होंने पहले ही (रूस में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद से ही) भारत के साथ रिश्ते सुधारने शुरू कर दिए थे। चीमा कहते हैं, “वहीं से ‘ड्रैगन और एलीफैंट टैंगो’ (चीन और भारत का साथ) की बातें शुरू हो गईं।”

सिर्फ भारत नहीं, चीन का फोकस इन देशों पर भी!

चीमा ने यह भी बताया कि चीन सिर्फ भारत पर ही मेहरबान नहीं हो रहा। बढ़ते अमेरिकी दबाव के बीच, शी जिनपिंग इसी हफ्ते से मलेशिया, वियतनाम और कंबोडिया जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के दौरे पर भी जा रहे हैं। सालों बाद हो रहे इन दौरों से साफ है कि चीन अब अपने पड़ोसियों के साथ संबंध मजबूत करने पर ज़ोर दे रहा है।

अमेरिका की भी मजबूरी?

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका को भी टैरिफ के मामले में थोड़ा पीछे हटना पड़ा है। लैपटॉप, मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर टैरिफ फिलहाल टाल दिया गया है, क्योंकि इससे अमेरिका में महंगाई बढ़ने का खतरा था, जिसे आम अमेरिकी शायद झेल नहीं पाते। हालांकि, ट्रंप इन पर अलग से ‘सेमी-कंडक्टर टैरिफ’ लगाने की बात कह रहे हैं। इसका असर एप्पल जैसी कंपनियों पर भी पड़ा, जिन्हें लाखों आईफोन भारत से अमेरिका ले जाने पड़े ताकि बाज़ार में कीमतें स्थिर रहें।

भारत-चीन व्यापार बढ़ेगा?

कमर चीमा का अनुमान है कि इन सब बदलावों के चलते अब भारत और चीन के बीच व्यापार और बढ़ने वाला है। उनका कहना है कि मौजूदा 120 अरब डॉलर का व्यापार बढ़कर 175-200 अरब डॉलर तक जा सकता है। चीमा के मुताबिक, भले ही भारतीय दिल से अमेरिका का रवैया पसंद न करते हों, लेकिन वे मजबूर हैं, जबकि चीन अब ज़रूरत के हिसाब से भारत के करीब आ रहा है – और यह बात भारतीय नेतृत्व भी समझता है।

साफ है, अंतरराष्ट्रीय मंच पर समीकरण तेज़ी से बदल रहे हैं और चीन अपनी आर्थिक और सामरिक ज़रूरतों के हिसाब से भारत के प्रति अपनी रणनीति बदल रहा है, जिसका नतीजा ये धड़ाधड़ जारी हो रहे वीज़ा हैं!