कोर्ट– मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। दिल्ली हाई कोर्ट के दो जजों ने इसपर दो अलग अलग फैसले दिये थे। वही अब हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट 16 सितंबर को सुनवाई करेगा और बताएगा की मैरिटल रेप अपराध है या नही।
भारतीय कानून के मुताबिक मैरिटल रेप अपराध नही है। लेकिन इसको लेकर लम्बे समय से बात चल रही है क्योंकि अब सोसायटी जबरन सम्बंध बनाने को अपराध की कैटेगरी में रखती है।याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आईपीसी की धारा 375(दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म को अपवाद माने जाने को लेकर संवैधानिक तौर पर चुनैती दी है।
बता दें जब दिल्ली हाई कोर्ट के जज ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया था तो उनके मत एक नही थे। जिसके चलते इस मामले को 3 जजों की बेंच में भेजने का फैसला लिया गया था। एक जज ने वैवाहिक बलात्कार के मामले से जुड़े अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया था। वही दूसरे जज ने आईपीसी के तहत अपवाद असंवैधानिक नहीं है और एक समझदार अंतर पर आधारित है।
जाने क्या है मैरिटल रेप-
मैरिटल रेप भारत मे अपराधिक क्षेणी में नही आता है। अगर कोई भी पुरुष अपनी पत्नी की बिना इच्छा के उसके साथ जबरन सम्बंध बनाता है तो उसे मैरिटल रेप कहा जाता है। कहा जाता है कि जब तक की स्त्री और पुरुष दोनों में रजामंदी न हो तब तक उन्हें संबंध नही बनाने चाहिए। क्योंकि जबरन बनाए गए सम्बंध अपराध की कैटेगरी में आते हैं।