डेस्क। दिलों में राज करने वाले समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव की अंत्येष्टि शुरू होते ही मंगलवार शाम सैफई गांव में अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने सबको असमंजस में डाल दिया। आपको बता दें कि 100 वर्ष पुराना पीपल का पेड़ भी बगैर आंधी-तूफान के धराशायी हो गया है। वहीं अंत्येष्टि से पहले इस पेड़ का गिरना भले ही एक संयोग रहा हो लेकिन गांव वाले इस घटना को नेताजी से जोड़कर देख रहे हैं और आसपास भी इसकी चर्चा हो रही।
आपको बता दें कि सैफई गांव में पैरामेडिकल महाविद्यालय के पास करीब 100 साल पुराना पीपल का पेड़ था। यहां पर मुलायम सिंह यादव व उनके परिवार के लोग पूजा करने के लिए आते थे। सावन माह में घर के सभी लोग भी पूजन करने यहीं पर आते थे। वहीं मंगलवार की दोपहर नेताजी का पार्थिव शरीर सैफई महोत्सव पंडाल से अंत्येष्टि स्थल की तरफ लाया गया तभी पीपल का पेड़ भी अचानक बिना किसी अंधी तूफान के धराशायी हो गया।
बता दें लोगों का कहना है कि इस दौरान न तो तेज हवा थी और न ही आंधी या तूफान आया बस पेड़ भी नेताजी के साथ चल दिया।
स्थानीय बुजुर्ग ग्रामीणों की मानें तो मुलायम सिंह के बचपन में ये पेड़ ज्यादा बड़ा नहीं था। वहीं बाद में यह धीरे-धीरे बड़ा और घना हो गया। सैफई के लोगों में चर्चा रही कि मुलायम सिंह के साथ पेड़ भी बड़ा हुआ और बचपन का साथी रहा अंत में भी उसके साथ गया।
मंदिर के पुजारी सुरेंद्र बाबू ने बताया कि मुलायम सिंह यादव अक्सर घर से बिना किसी सुरक्षा के मंदिर आकर पूजा किया करते थे और पीपल के पेड़ की छांव में बैठ जाया करते थे। यहां बैठकर वह मन की शांति को महसूस करते थे और इस जगह से बहुत लगाव रखते थे।