देश– केंद्र सरकार ने आरक्षण के परिपेक्ष्य में एक आयोग का गठन किया है। यह आयोग यह पता लगाएगा कि क्या ऐसे लोगो को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जा सकता है जो लोग अपना धर्म बदलकर सिख हिन्दू या बौद्ध धर्म को अपना चुके हैं।
इस आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस केजी बालाकृष्णन करेंगे। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक़ इस आयोग में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉ. रवीद्र कुमार जैन और यूजीसी की सदस्य प्रोफ़ेसर डॉ. सुषमा यादव भी बतौर सदस्य रहेंगी. आयोग को दो साल में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
जानकारी के लिए बता दें राष्ट्रीय आयोग मुख्य रूप से इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने वाले अनुसूचित जाति के लोगों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्तर का अध्ययन करेगा।
संविधान के अनुसूचित जाति आदेश 1950 के मुताबिक़, हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के अलावा किसी अन्य धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जा सकता।