भारतीय सेना विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है, जिसमे 14 लाख सक्रिय कर्मी हैं। भारत अपनी जीडीपी का 2.5% यानी 5.25 ट्रिलियन लैगभाग 70.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर रक्षा में खर्च कर रहा है, जिसमे से 1.19 ट्रिलियन सैलरी और इतना ही पेंशन में खर्च होता है। इसके बाद जो बचता है वह रसद, भोजन और हथियार पर खर्च किया जाता है जो पर्याप्त नहीं हो पाता। समय बदल रहा है दुनिया भर के देश अपनी सेनाओं को तकनीकी रूप से उन्नत बना रहे हैं। केई देशों ने अपनी फौजों में जवानों की कटौती भी की है ताकी वह अपनी फौज में प्रति जवान पर जो खर्च है,कम कर उस पैसे को फौज के आधुनिकीकरण पर खर्च कर सकें। भारत भी यही कर रहा है हाल ही में भारत सरकार ने अग्निपथ योजना लॉन्च की और इसी के साथ साथ पिघले दो सालो से जो भर्तीयां रुकी हुई थी उन्हे शुरू किया गया। भारतीय सेना में अलग अलग विंग्स हैं, जिनकी अपनी-अपनी समय सीमा है सेवा देने की उसके बाद जवानों को रिटायर कर दिया जाता है जैसे की आर्टिलरी, इन्फैंट्री, घातक प्लटून और स्पेशल फोर्सेस बिलकुल इसी तरह एयरफोर्स और नेवी में भी है। अग्निपथ योजना सिर्फ जवानों की भर्ती के लिए आई है जो इससे पहले एसएससी और परमानेंट कमीशन के जरीये होती थी वह अब अग्निपथ से होंगी। लोगों के मन में यह सवाल भी था की क्या यह योजना एसएससी और परमानेंट कमीशन के समानतर आई है,तो ऐसा बिलकुल भी नहीं है अब सारी भर्तीयां सेना के तीनों अंगों में अग्निपथ के जरीये ही होंगी। शुरुआती तौर पर 46000 हजार जवानों की भर्ती होगी जिसमें से 40000 आर्मी और 3000-3000 एयरफोर्स और नेवी के लिए भर्ती किए जाएगें इस योजना में पहले बैच की आयु सीमा 17-23 वर्ष रखी गई है उसके बाद की सारी भर्तियां 17-21 वर्ष के आयु वर्ग में ही होगी 46000 में से सिर्फ 25% जवानों को स्थायी कमीशन दिया जाएगा बाकियों को 4 वर्षों के बाद रिटायर कर दीया जाएगा। सेना के तीनो अंगो ने इग्नू के साथ एक एमओयू साइन किया है,जिसमे जवानों के तकनीकी और गैर तकनीकी कौशल को विकसित किया जाएगा जिसके 50% अंक मिलेंगे और 50% अंक राजनीति विज्ञान, इतिहास, भूगोल आदि विषयों के लिए दिय जाएंगे जो वे क्रेडिट सिस्टम के थ्रू यूनिवर्सिटी से अवेल करा सकते हैं या पता कर सकते हैं। अग्निपथ के जरिया होने वाली सारी भर्तीया जवानों की ही हैं और अब आने वाले समय में भी इसी के जरिये भर्तीय होंगी,इस बार जवानों की तनख्वाह पहले के मुकाबले 21,700 जो चार साल तक मिलती थी अब 30000 मिलेगी और हर साल 3000 का इजाफा किया जाएगा। इन हैंड सैलरी जवानों को 21000 ही मिलेगी 9000 रुपये अग्निवीर फंड में जमा किए जाएंगे और इतने ही पैसे सरकार अग्निवीर फंड में जमा करेगा जिसके खिलाफ जवान 18 लाख तक का कर्ज भी ले सकते हैं, साथ साथ 48 लाख का बीमा कवर भी मिलेगा 4 वर्षा के लिए और रिटायरमेंट के बाद 11 लाख 71000 रुपये भी दिए जाएंगे। वैसे तो अग्निपथ में अभी तक सब कुछ अच्छा है लेकिन फिर भी इसका विरोध पूरे देश में हुआ यहां तक की कुछ सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी ने भी इसमें खामियां निकालीं देखिये ये अच्छी बात है कि पहली बार किसी सरकार को लगा कि देश के अंदर रक्षा सुधार की ज़रूरत है। लेकिन बिना किसी पायलट प्रोजेक्ट के किसी स्कीम को एकदम से लाना और लागू कर देना फिर उसे रोजगार बता देना सही नहीं है। भारत जैसे देश के अंदर जहां बेरोजगारी इतनी ज्यादा हो वहां इसे रोजगार देना नहीं मजबूरी का फायदा उठाना कहते हैं। पहले जब कोई जवान सेवानिवृत्त होता था तब उसे भूतपूर्व सैनिक के लाभ जैसेकी पेंशन, ग्रेच्युटी वगरह, चिकित्सा सुविधाएं अगले 40 वर्षों तक मिलती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा अब 11 लाख 71 हजार रुपये एक बार में दिया जाएगा कोई पेंशन,ग्रेच्युटी,कोई चिकित्सा सुविधा नहीं मिलेगी, जो की पहले की अपेक्षा काफी कम है। दूसरी तरफ सेवानिवृत्ति के बाद में उन्हें दूसरे विभागों में नौकरी मिल जाएगी सरकार का कहना है कि वहां उन्हें वरीयता दी जाएगी जैसेकि सीएपीएफ या पुलिस, क्योंकि ये जवान स्किलफुल होंगे अनुशासित होंगे देखा जाए अगर ऐसा ही है तो एसएससी वालों को नौकरी मिल जानी चाहिए थी मगर ऐैसा नहीं है कोई किसी बैंक के बहार गार्ड है तो कोई किसी सोसाइटी को गार्ड कर रहा है और कौशल विकसित करके ही नौकरी करनी होगी तो कोई अग्निवीर ही क्यों बनना चाहेगा है वो कोई प्रोफेशनल कोर्स करेगा शुरू से ही। कुछ बुद्धिजीवियों ने तो यहाँ तक कह दिया की वह कॉर्पोरेट सेक्टर में जा सकता है उनके पास अच्छा खासा बायोडाटा होगा,तो वहाँ जाने के बाद भी वो क्या करेगा क्योंकि मूल रूप से उसे बंदूक चलाने में महारत हासिल है उसने प्रोग्रामिंग तो सीखी नहीं है और इंटरव्यू देंगे भी तो उनसे वही ठेठ कॉरपोरेट सेक्टर वाले सवाल पूछे जाएंगे जैसे कि हम आपको नौकरी क्यों दें जब आपको सरकार ने ही नहीं लिया,आपका चयन उन 25% में क्यों नहीं हुआ तब वह क्या जवाब देगा। यहां सरकार को यह चीज़ समझनी होगी की फौज में लोग नौकरी करने के लिए नहीं आते एक जूनून होता है जो उन्हें फौज में जाने को प्रेरित करता है भला 20-21 हजार के लिए कोई अपनी जान दांव पर नहीं लगाता,जब वे यह देखेंगे की 4 साल के बाद ज्यादातर को रिटायर कर दिया जाएगा तब वह खुद को ही ठगा हुआ महसूस करेंगे।