मीडिया– बीते दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह जिक्र किया है कि लोगो को सोशल मीडिया पर कुछ भी शेयर करने से पूर्व तथ्यों की जांच करना आवश्यक है। क्योंकि एक झूठी खबर देश मे बवाल मचा सकती है और लोगो के मस्तिष्क पर फेंक न्यूज का ऐसा प्रभाव पड़ता है कि वह उसे ही सत्य मानकर अपनी धारण बना लेते हैं।
वही आज हम इस लेख में आपको विस्तार से फेक न्यूज के विषय मे बताएंगे और उससे क्या क्या दुष्प्रभाव लोगो के मस्तिष्क पर पड़ता है। यह भी समझाएंगे। तो सबसे पहले हम फेक न्यूज के अर्थ को समझेंगे। फिर उसकी परिभाषा और अंत मे उसके दुष्प्रभाव पर चर्चा करेंगे।
फेक न्यूज का अर्थ-
ऐसी कोई भी सूचना, बात या विषयवस्तु जो सत्य न हो लेकिन उसे खबर के रूप में रचकर लोगो के बीच प्रस्तुत करना और किसी व्यक्ति विशेष को सम्बोधित करते हुए लोगो को उसकी स्त्यता पर विश्वास दिलाना फेक न्यूज है।
फेक न्यूज के माध्यम से लोगो को भ्रमित किया जाता है और सत्य पर पर्दा डालकर उन्हें अफवाहों पर विश्वास करने के लिए मजबूर किया जाता है। फेक न्यूज झूठ और भ्रम का गढ़ है। जहाँ सत्य के प्रारूप में झूठ को प्रस्तुत कर लोगो को गलत जानकारी दी जाती है।
उदाहरण- कोई सरकारी योजना आई और उसका लाभ एक गांव के सभी लोगो को मिला और कुछ विशेष लोग उससे अगर वंचित रह गए। तो अगर यह कहा जाए कि गांव के किसी भी व्यक्ति को सरकारी योजना का लाभ नही मिला है और सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार को टारगेट किया जाए और उसकी छवि धूमिल की जाए तो यह एक प्रकार से फेक न्यूज है।
फेक न्यूज परिभाषा-
किसी व्यक्ति , संस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए लोगो के मध्य गलत सूचना का प्रसारण ही फेक न्यूज है।
जब कोई व्यक्ति झूठ को सच का लिबास पहनाकर उसे लोगो के बीच सत्य की तरह प्रस्तुत करता है और लोग उसपर आंख मूंद कर विश्वास करते हैं और उसी के अनुरूप अपनी धारण बनाते है। तो यह फेक न्यूज की परिधि में आता है।
नोलन हिगडन के मुताबिक– झूठी और भ्रामक सामग्री फेक न्यूज है।
माइकल रेडुट्स्की- ऐसी कहानियां या खबरे जो सत्य की परिधि से दूर है और उन्हें सत्य की तरह परोसा जा रहा है। वह फेक न्यूज है।
फेक न्यूज के दुष्प्रभाव-
फेक न्यूज के माध्यम से किसी व्यक्ति की छवि बिगड़ी जाती है।
फेक न्यूज लोगो को सत्य से दूर करती है।
फेक न्यूज के माध्यम से लोगो को एक ओर झुकाया जाता है।
फेक न्यूज लोगो को जागरूक करने की जगह भ्रमित करती रहती है।