Articles for tag: 1 तारीख से20 ड्रोन का उपयोग करके भक्तों के ऊपर पवित्र जल का छिड़काव किया गया2025 Kumbabishekam6 PadaiveeduArunopadesamDevoteesDivine experienceHoly placeKumbabishekam after 16 yearsMaha KumbabishekamMinister SekarbabuMurugan TempleReligious eventSubramanya Swamy TempleSwami ShanmugamTamil Nadu TourismTamil VedasTiruchendurTiruchendur Temple darshan.Valli DeivanaiYagasalaएक अत्यंत भव्यऔर अग्निशमन एवं मत्स्य पालन विभागों के कर्मियों द्वारा नावों की मदद से निरंतर निगरानी रखी गई। तिरुचेन्दूर मंदिर की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे। उत्सव का रंग और श्रद्धालुओं का जमावड़ा: पूरे मंदिर परिसरऔर आज का यह महा आयोजन धार्मिक इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। इस पवित्र दिन का गवाह बनने के लिए भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ाऔर आज भोर में 12वीं यज्ञशाला पूजा संपन्न हुई। वहींऔर वहां से मंदिर तक आने-जाने के लिए 30 मुफ्त बसें भी चलाई गईं। इस पूरे आयोजन की सुरक्षा की कमान लगभग 6 हजार पुलिसकर्मियों ने संभालीकल सुबह दूसरी और शाम को तीसरी यज्ञशाला पूजा का आयोजन किया गया। आज भोर में चौथी यज्ञशाला पूजा चल रही है। इन समस्त यज्ञशाला पूजाओं के दौरानकारी माणिक्य विनायकको रंगीन रोशनियों से सजाया गया थाक्या आपने सुना? भगवान मुरुगन के छह पवित्र पवित्र स्थानों में से दूसरा महत्वपूर्ण स्थानजयंतीनाथरजिस पर उच्च गुणवत्ता की सुनहरी कार्डबोर्ड लगी हुई थी। 1 तारीख की रात से ही इस यज्ञशाला मंडप में यज्ञ पूजाएँ शुरू हो गईंजिसके बाद उन्हें स्वर्ण रथ पर वल्ली-देवयानी के साथ बिठाया गया और उन्होंने भव्य शोभा यात्रा निकालते हुए भक्तों को दर्शन दिए। इसके साथ हीजिसने दक्षिण भारत की आस्था को और भी मजबूत कर दिया। महा आयोजन की भव्य तैयारियाँ और यज्ञ पूजाएँ: इस महत्वपूर्ण कुंभाभिषेकम् समारोह के लिए मंदिर में कई प्रकार के नवीनीकरण कार्य किए गए थे। उत्सव का शुभारंभ 27 तारीख को गणपति पूजा के साथ हुआ। उसके अगले दिनजिसने वातावरण को और भी पवित्र बना दिया। कुंभाभिषेकम्: आस्था का चरम क्षण आज (सोमवार) समारोह का सबसे बड़ा पल आया – महाकुंभाभिषेकम्। सुबह 6:15 से 6:50 बजे के बीच राजगोपुरम कलशों का महाकुंभाभिषेकम् बड़े ही धूमधाम से हुआ। उसी समयजिसने सभी उपस्थित भक्तों को एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया।जिसने सभी उपस्थित भक्तों को एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया।क्या आपने सुना? भगवान मुरुगन के छह पवित्र पवित्र स्थानों में से दूसरा महत्वपूर्ण स्थानजिसमें राजगोपुरमजिससे पूरा शहर आस्था के रंग में रंग गया। इससे पहले मुरुगन मंदिर का कुंभाभिषेकम् 2.7.2009 को हुआ थाजिससे यह एक जादुई वातावरण बन गया था। लाखों श्रद्धालुओं के आने सेजो किसी अमृत वर्षा से कम नहीं था। यह दृश्य अविस्मरणीय था! इसके पश्चात्जो रोजाना सुबह-शाम भक्तिभाव के साथ चलती रहीं। यज्ञ का पवित्र अनुष्ठान और वैदिक मंत्रोच्चार: यज्ञ का कार्यक्रम बहुत व्यवस्थित था। कल सुबह 10वीं और शाम को 11वीं यज्ञशाला पूजा और महा दीपाराधना हुईजो लगातार अपनी ड्यूटी पर तैनात रहे। विशिष्ट गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति: इस पावन महाकुंभाभिषेकम् समारोह में तमिलनाडु के माननीय मंत्री श्री सेकरबाबू और श्रीमती अनीता राधाकृष्णन भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। उनके साथ हीतिरुचेन्दूर सुब्रमण्य स्वामी मंदिर में 16 साल बाद एक भव्य महाकुंभाभिषेकम् का आयोजन हुआ। आज (सोमवार) इस अलौकिक समारोह को देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु तिरुचेन्दूर में उमड़ पड़ेतिरुवदुतुरै अधीनम और धर्मपुरम अधीनम जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक नेताओं ने भी भाग लिया और आशीर्वाद प्रदान किया। यह महानिर्वाणी कुंडम् जैसा पवित्र कुंभाभिषेकम् भगवान मुरुगन की कृपा का प्रत्यक्ष प्रमाण थादूर-दूर से आए भक्तों के लिए एल.ई.डी. स्क्रीन भी लगाए गए थे ताकि वे लाइव दर्शन कर सकें। भक्तों की सुरक्षा के लिएदेवयानीदेवयानी अम्मा सहित अन्य सभी पारिवारिक देवताओं को भी अलग-अलग पालकियों में सजाया गया और उन्होंने भी शोभा यात्रा निकालते हुए भक्तों को आशीर्वाद दिया। भक्तों की सुविधा और सुरक्षा की पूरी तैयारी: यह सुनिश्चित करने के लिए कि भक्त बिना किसी असुविधा के इस भव्य समारोह का अनुभव कर सकेंनटराज गोपुरम के कलशों का भी कुंभाभिषेकम् किया गया। इसके बादपार्वती अम्मापूर्वी गोपुरम और गर्भगृह शामिल हैंपेरुमलमंदिर के गर्भगृह में मुख्य देवता भगवान मुरुगनमंदिर के गेस्ट हाउस से लेकर शहर के सभी निजी होटलों तक सब पूरी तरह से भर गए थे। तिरुचेन्दूर शहर उत्सव के उल्लास में डूबा हुआ था और हर जगह केवल भक्तों की भीड़ ही दिखाई दे रही थी। बेहतर यातायात और अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था: तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से भक्तों को तिरुचेन्दूर लाने के लिए विशेष बसें चलाई गईं। शहर में तीन अस्थायी बस स्टैंड स्थापित किए गए थेमंदिर के विमान तल पर विराजमान मुख्य देवतामंदिर के समुद्र तट पर अवरोधक बाड़ें लगाई गईं। इसके अलावारंगीन कागजात चिपकाए गए और कलात्मक चित्रकारी की गई थीवल्लीवल्ली अम्मावल्ली अम्मा और देवयानी अम्मा की मूर्तियों के लिए विशेष यज्ञ पूजाएँ आयोजित की गईं। यह सब तो बस शुरुआत थी! स्वामी शणमुखर और अन्य पारिवारिक देवताओं के लिए मंदिर के राजगोपुरम के पास 8शणमुखरसुबह 9 बजे

और वहां से मंदिर तक आने-जाने के लिए 30 मुफ्त बसें भी चलाई गईं। इस पूरे आयोजन की सुरक्षा की कमान लगभग 6 हजार पुलिसकर्मियों ने संभाली