डेस्क। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बोला है कि यदि महिला भयभीत या भ्रमित होकर सहमति देती है तो शारीरिक संबंध को दुष्कर्म माना जाएगा। आगरा के राघव कुमार की याचिका खारिज करते हुए अदालत ने यह निर्णय लिया है। राघव पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक निर्णय में बोला है कि कोई व्यक्ति भले ही महिला की सहमति से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता हो, पर अगर महिला भयभीत या भ्रमित होकर ऐसी सहमति देती है तो ऐसे संबंध को दुष्कर्म माना जाएगा। वहीं न्यायमूर्ति अनिस कुमार गुप्ता ने यह टिप्पणी करते हुए आगरा के राघव कुमार नामक एक व्यक्ति की याचिका खारिज की।
राघव ने दुष्कर्म के मुकदमे को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था और उस पर आरोप है कि उसने एक महिला को शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया, राघव ने इस मामले में पुलिस की ओर से दाखिल आरोप-पत्र को रद्द करने का अदालत से अनुरोध भी किया था।
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इस मामले के तथ्यों के मुताबिक, एक महिला ने राघव के खिलाफ आगरा के महिला थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत मामला दर्ज करवाया था, जिसकी विवेचना के बाद पुलिस ने 13 दिसंबर, 2018 को आगरा के जिला एवं सत्र न्यायालय में राघव के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करा था। महिला का यह आरोप है कि राघव ने पहली बार उसे बेहोश करके शारीरिक संबंध बनाया था और इसके बाद वह शादी का झूठा वादा करके लंबे समय तक यौन शोषण भी करता रहा। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि आरोपी और शिकायतकर्ता महिला एक-दूसरे को जानते थे और साथ ही साथ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी कर रहे थे।
वकील ने यह भी दलील दी है कि दोनों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बने, जो लंबे समय तक जारी भी रहे, इसलिए आरोपी राघव के खिलाफ दुष्कर्म का मामला नहीं बनता। साथ ही दूसरी ओर, राज्य सरकार के वकील ने याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि दोनों पक्षों के बीच शारीरिक संबंध की शुरुआत धोखाधड़ी पर आधारित है और राघव ने बलपूर्वक संबंध बनाया, जिसके लिए महिला की ओर से कोई सहमति नहीं थी, इसलिए यह दुष्कर्म का स्पष्ट मामला भी है।