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डेस्क। भारत एक विविध और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर वाला देश है, जिसमें कई पारंपरिक कलाएं, त्योहार, और रीति-रिवाज हैं। लेकिन आधुनिकीकरण और पश्चिमीकरण के प्रभाव में, हमारा पारंपरिक कल्चर धीरे-धीरे विलुप्त होता जा रहा है।

क्या है कारण

1. पश्चिमीकरण का प्रभाव: पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में, हमारे युवा पीढ़ी अपनी पारंपरिक कल्चर को भूल रहे हैं।

2. आधुनिकीकरण: आधुनिक तकनीक और जीवनशैली ने हमारे पारंपरिक कल्चर को पीछे छोड़ दिया है।

3. शिक्षा प्रणाली में बदलाव: हमारी शिक्षा प्रणाली में पारंपरिक कल्चर को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता।

4. शहरीकरण: शहरीकरण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक कल्चर का ह्रास हो रहा है।

विलुप्त होते कल्चर के उदाहरण

1. पारंपरिक कलाएं: भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य, और चित्रकला जैसी पारंपरिक कलाएं विलुप्त होती जा रही हैं।

2. त्योहार और उत्सव: कई पारंपरिक त्योहार और उत्सव अब नहीं मनाए जाते या उनका महत्व कम हो गया है।

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3. रीति-रिवाज: पारंपरिक रीति-रिवाज जैसे कि विवाह समारोह, जन्मोत्सव आदि अब नहीं मनाए जाते या उनका महत्व कम हो गया है।

4. भाषाएं: कई पारंपरिक भाषाएं विलुप्त होती जा रही हैं।

क्या हो सकता है समाधान

1. शिक्षा प्रणाली में बदलाव: पारंपरिक कल्चर को शिक्षा प्रणाली में शामिल करना।

2. सांस्कृतिक कार्यक्रम: पारंपरिक कल्चर को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना।

3. सरकारी समर्थन: सरकार को पारंपरिक कल्चर को बचाने के लिए समर्थन देना।

4. समाजिक जागरूकता: समाज में पारंपरिक कल्चर के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना।

भारत का विलुप्त होता कल्चर एक खतरे में पड़ा धरोहर है। हमें अपनी पारंपरिक कल्चर को बचाने के लिए कदम उठाने होंगे। हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर को अगली पीढ़ी के लिए संरक्षित करना होगा।