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सुप्रीम कोर्ट का फैसला: खिलाड़ी पूजा ठाकुर को नौकरी से वंचित करना 'गहरी निराशा'! क्या खेलों में भारत का यह रवैया सही है?

यह मामला पूजा ठाकुर नामक एक प्रतिभाशाली एथलीट से जुड़ा है, जिन्होंने 2014 के एशियाई खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था। लेकिन, जीत के बाद की यात्रा आसान नहीं रही। उन्हें राज्य सरकार की तरफ से प्रथम श्रेणी अधिकारी पद पर खेल कोटे के तहत नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया। इस फैसले के बाद से पूजा कई सालों से न्याय की लड़ाई लड़ रही थीं।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई गहरी निराशा

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार के इस फैसले पर गहरी निराशा जाहिर की है। कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या यह खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का सही तरीका है? उन्होंने राज्य सरकार से व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने और खिलाड़ियों के योगदान को पहचानने का आग्रह किया। कोर्ट ने कहा कि पूजा को 7 साल तक इधर-उधर भगाया गया और उनकी मेहनत को नजरअंदाज किया गया, जोकि बेहद निराशाजनक है। यह मामला सिर्फ़ पूजा का नहीं बल्कि देश के सभी खिलाड़ियों के हित से जुड़ा हुआ है। क्या सरकार खिलाड़ियों को उनके समर्पण और कड़ी मेहनत का उचित सम्मान नहीं दे रही है?

खिलाड़ियों को मिलना चाहिए उचित सम्मान

यह सवाल गंभीर है और समाज को सोचने पर मजबूर करता है। क्या हम ऐसे ही देश के नायकों को भुला देंगे? क्या ऐसे ही हम उन लोगों का उत्साह तोड़ देंगे जिन्होंने अपने देश का नाम रोशन किया है? सरकार का कर्तव्य है कि वो अपने खिलाड़ियों का पूरा ख्याल रखें और उन्हें उनके योगदान के अनुसार सम्मान दें। उन्हें ऐसे अवसर मिलने चाहिए जिससे वो अपने जीवन में आगे बढ़ सकें। यह सरकार की जिम्मेदारी है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

हाईकोर्ट का आदेश और सुप्रीम कोर्ट का रुख

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पहले ही पूजा ठाकुर को एक्साइज और टैक्सेशन ऑफिसर के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया था। हालांकि, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में कोई भी दखल देने से इनकार कर दिया। इसका मतलब है कि राज्य सरकार को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करना होगा।

न्यायिक प्रक्रिया का महत्व

यह निर्णय न्यायिक प्रणाली के महत्व और खिलाड़ियों के अधिकारों की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह एक स्पष्ट संदेश देता है कि खिलाड़ियों के समर्पण और देश के लिए उनके योगदान को महत्व दिया जाना चाहिए और उन्हें उचित सम्मान दिया जाना चाहिए। सरकार को खेलों को बढ़ावा देने और खिलाड़ियों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

आगे का रास्ता: खेल कोटे में सुधार और बेहतर नीतियां

इस मामले से सबक मिलता है कि सरकार को खेल कोटे में सुधार और बेहतर नीतियां बनाने की आवश्यकता है। ऐसी नीतियां होनी चाहिए जो यह सुनिश्चित करें कि खिलाड़ी जो देश का नाम रोशन करते हैं, को आगे बढ़ने और उनके योगदान का उचित मूल्यांकन करने के लिए उचित अवसर मिलें। ये सिर्फ़ नियम-कानून बनाने तक ही सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि उनकी इच्छाओं और जरूरतों को समझने के लिए आगे भी काम करने की आवश्यकता है।

खिलाड़ियों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य

सरकार को न केवल खिलाड़ियों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए। उनके संन्यास के बाद के जीवन को लेकर योजनाएँ बनानी चाहिए ताकि वे जीवन में आगे बढ़ सकें।

निष्कर्ष: समर्थन, सम्मान और सराहना की आवश्यकता

पूजा ठाकुर का मामला एक बेहद अहम मुद्दा उठाता है। हमारे देश के खिलाड़ियों को केवल जीत के समय ही नहीं, बल्कि हर कदम पर सरकार का समर्थन, सम्मान और सराहना मिलनी चाहिए। यह उनका नैतिक और कानूनी अधिकार है। हमें ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जहां मेहनत करने वाले खिलाड़ियों को उनका पूरा हक मिले।

टेक अवे पॉइंट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने पूजा ठाकुर के साथ हुए अन्याय पर गहरी निराशा व्यक्त की है।
  • खिलाड़ियों के प्रति समाज और सरकार का कर्तव्य बनता है कि वह उनके योगदान का सम्मान करे।
  • खेल कोटे में सुधार की आवश्यकता है ताकि खिलाड़ियों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
  • खिलाड़ियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी है।