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डेस्क। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे वायु प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है वहीं सुप्रीम कोर्ट ने CAQM से पूछा कि आपने इसपर क्या एक्शन लिया है। जस्टिस अभय ओक ने बोला है कि केंद्र सरकार ने सिस्टम नहीं बनाया साथ ही पर्यावरण संरक्षण अधिनियम शक्तिहीन हो गया है।

धारा 15 में संशोधन करके दंड की जगह जुर्माना लगा दिया है और जुर्माना लगाने की प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार ने बोला है कि दस दिनों के भीतर सेक्शन 15 (जुर्माने से लेकर 5 साल की सजा का प्रावधान) लागू किया जाएगा।

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जस्टिस ओक ने क्या बोला?

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम अब शक्तिहीन हो गया है।

सजा की जगह मामूली जुर्माना लग गया है।

राज्य के अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करी गई?

ASG एश्वर्या भाटी ने दिया जवाब

 CAQM ने दोनों राज्यों के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भेजा है।

पंजाब और हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव, कृषि को भी नोटिस जारी किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने बोला…

नियम आपको मुकदमा चलाने की अनुमति देते हैं वहीं आपको उन पर मुकदमा चलाना चाहिए वरना कुछ नहीं हो पाएगा।

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ASG ने सुप्रीम कोर्ट को आगे बताया कि पंजाब- हरियाणा ने पराली जलने की घटना को कम करने के लिए व्यापक कदम भी उठाए हैं। इस पर अदालत ने आगे कहा कि हम जानते है कि किन धाराओं में FIR दर्ज हुई, क्या कोई भी मामले को लेकर गंभीर हैं।

केंद्र ने क्या कहा

केंद्र सरकार ने कहा कि हमने दोनों राज्यों हरियाणा और पंजाब के सचिव पर्यावरण, अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और उन्होंने जवाब दाखिल भी किए हैं। इस पर जस्टिस ओक ने बोला है कि यह परेशान करने वाली बात है। कानून आपको मुकदमा चलाने की अनुमति देता है साथ ही में ⁠वह लगातार आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। आप सिर्फ़ नोटिस ही जारी कर रहे हैं।