डेस्क। हरियाणा विधानसभा चुनाव के मतदान के बाद आए एग्जिट पोल में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत भी दिखाई दे रहा है। उसकी सरकार बनती हुई भी नजर आ रही है। पर क्या कांग्रेस के लिए हरियाणा में मुख्यमंत्री चुनना उतना आसान होगा जितना दिखाई दे रहा है। क्या कुमारी शैलजा का सीएम पद पर दावा अभी भी बना हुआ है।
हरियाणा में सरकार किसकी बनने वाली है, एग्जिट पोल्स ने इसकी भविष्यवाणी जारी कर दी है। हवा कांग्रेस के साथ की है और एग्जिट पोल्स का निचोड़ देख लें, तो यह हवा से ज्यादा सूनामी भी है। इसी के साथ सभी एग्जिट पोल्स को देख लें तो कांग्रेस को 55 सीटें तक मिल सकती हैं। यह बहुमत के आंकड़े से 9 सीटें ज्यादा पाती दिखाई दे रही हैं। कुछ सर्वे में तो कांग्रेस को 60 के पार जाने की भविष्यवाणी भी करी गई है। कांग्रेस 10 साल से इसपर काबिज है और बीजेपी को उड़ाती हुई सत्ता में वापसी भी कर रही है। हालांकि यह अभी एक्जिट पोल्स के नतीजे ही हैं और असली पिक्चर आठ अक्टूबर को साफ होगी। इन एक्जिट पोल्स का अगर संदेश देखें तो कांग्रेस के लिए इसमें एक परेशानी भी छिपी है।
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असली पिक्चर आठ अक्टूबर को साफ हो जाएगी। साथ ही इन एक्जिट पोल्स का अगर संदेश देखें तो कांग्रेस के लिए इसमें एक परेशानी भी छिपी है। दरअसल कांग्रेस का 60 पार जाने की सीधा मतलब है कि उसके साथ जाट, ओबीसी के अलावा दलित मजबूती भी हैं। इससे कुमारी शैलजा सबसे ज्यादा खुश भी हो रही होंगी और अगर नतीजे एग्जिट पोल्स के मुताबिक ही रहते हैं तो सीएम की कुर्सी की चाहत दिल में दबाए हुए बैठीं कुमारी शैलजा के अरमानों को हवा लगनी भी तय है। ऐसे में बंपर जीत के बाद कांग्रेस के अंदर भूपेंद्र हुड्डा बनाम कुमार शैलजा का शीत युद्ध खुलकर सामने भी आ सकता है।
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हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार रहें हैं। वो राज्य में लगातार दो बार कांग्रेस की सरकार चला चुके हैं और इस बार भी उन्होंने काफी मेहनत करी है। इसमें उनके बेटे दिपेंद्र हुड्डा का भी साथ उनको मिला है। बाप-बेटे की इस जोड़ी ने इस बार जमकर पसीना बहाया पर हुड्डा परिवार के लिए मुख्यमंत्री के कुर्सी तक जाने की राह काफी आसान नहीं है। क्योंकि उनको कई लोगों से चुनौती मिल सकती है। इसमें ये एक बड़ा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा का रहा है। दलित समाज से आने वाली शैलजा राज्य की वरिष्ठ नेता भी हैं। हालांकि हुड्डा के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि वह बड़ी तादाद में अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में काफी कामयाब रहे थे। ऐसी स्थिति में अगर कांग्रेस के अंदर शक्ति प्रदर्शन की नौबत भी आती है, तो हुड्डा शैलजा पर काफी भारी पड़ सकते हैं।