डेस्क। Transgender Facts : किन्नर जिनको आम भाषा में हिजड़ा बोला जाता है। ये वो लोग हैं जो ना स्त्री हैं और न ही पुरुष होते हैं। यानि की ये थर्ड जेंडर कहलाते हैं। किन्नरों का रहन सहन से लेकर उनके अंतिम संस्कार तक सभी एक रहस्य का विषय बना हुआ है।
आपकी खुशी में शामिल होकर उसे दोगुना करने वाले और दुआओं का अंबार लगा देने वाले किन्नरों की जिंदगी के कई ऐसे राज हैं जो आम लोगों तक नहीं पहुंच पाते है।
इन्ही में से एक किन्नरों का अंतिम संस्कार भी है। इसी कड़ी में आमतौर पर जब किसी की मौत हो जाती है तो सूर्यास्तर से पहले ही पूरे विधि विधान के साथ उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया जाता है इसी के साथ किन्नरों के अंतिम संस्कार के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं।
ऐसी मान्यता है कि कुछ किन्नरों के पास आध्यात्मिक शक्ति भी होती है, जिससे उन्हे मौत का अंदाजा पहले से ही हो जाता है और वो खुद को दूसरों से अलग भी कर लेते हैं वहीं इस दरमियान वो खाना-पीना या फिर कहीं आना जाना तक बंद कर देते हैं।
इस पूरे वक्त में एक किन्नर सिर्फ पानी ही पीता है और अपने समाज के दूसरे किन्नरों की सलामती की दुआ भी करता है वहीं इस दुआ में अगले जन्म में फिर किन्नर ना बनने की दुआ भी शामिल है।
दूसरे किन्नर इस मर रहे किन्नर की दुआ लेने के लिए पहुंचते भी हैं। साथ ही ऐसा माना जाता है कि ऐसे किन्नर की दुआ बहुत असरदार होती है और जब किन्नर की मृत्यु हो जाती है तो आम लोगों की तरह ही विलाप भी किया जाता है।
पर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि किन्नर को जलाने की बजाए दफनाया जाता है और इससे पहले किन्नर की आत्मा को आजाद करने की क्रिया होती है वहीं इसके लिए किन्नर के शव को सफेद कपड़े में लपेट कर रख दिया जाता है साथ ही इसपर कुछ भी बांधा नहीं जाता ताकि आत्मा बंधन से मुक्त रहे।
आम लोगों की तरह किन्नरों का अंतिम संस्कार दिन में ना होकर रात में किया जाता है और रात में ही किन्नर की शव यात्रा भी निकाली जाती है वहीं हैरानी की बात ये है कि शव यात्रा से पहले किन्नर के शव को जूते चप्पलों से पीटा भी जाता है।
ऐसा इस लिए भी किया जाता है ताकि अगले जन्म में इस किन्नर के शरीर में आत्मा ना आये और पुनर्जन्म हो भी तो उसे किन्नर का रूप ना मिले। वहीं इसके बाद अपने आराध्य देव से किन्नर प्रार्थना भी करते हैं कि अगले जन्म में उसे किन्नर ना बनाएं। वहीं अंतिम संस्कार के बाद एक हफ्ते तक पूरा किन्नर समुदाय भूखा भी रहता है और इन दौरान दान पुण्य किया जाता है और बार बार दुबारा किन्नर न बनने की दुआ भगवान से किन्नर मांगते ही रहते हैं।