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आपातकाल में पीएम मोदी ने दिया था ये भाषण, संघ के विरोध में निभाई अहम भूमिका 

डेस्क : देश में आज के ही दिन 25 जून को 50 साल पहले  1975 में आपातकाल लगा था। कांग्रेस के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में आंदोलन पूरे देश में फैल रहा था वहीं गुजरात भी इसका अपवाद नहीं था। 1974 में गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में परिवर्तन लाने में छात्रों की आवाज़ की शक्ति को काफी करीब से प्रत्यक्ष रूप से देखा। नरेंद्र मोदी उस समय आरएसएस के प्रचारक भी बने थे। आरएसएस के युवा प्रचारक के रूप में उन्होंने ऐसा भाषण दिया कि युवा आंदोलन का जोश काफी बढ़ गया था|

नरेंद्र मोदी ने आपातकाल को आपदा में अवसर के रूप में वर्णित करा और लोगों से बोला कि वे लोग सरकार की नाकामियों को जनता के बीच लेकर जाएं। नरेंद्र मोदी ने अपने इस भाषण के दौरान युवाओं में जोश भरने के लिए एक कविता भी पढ़ी थी।  

 
पीएम मोदी का भाषण

जब कर्तव्य ने पुकारा तो कदम कदम बढ़ गये
जब गूंज उठा नारा ‘भारत माँ की जय’
तब जीवन का मोह छोड़ प्राण पुष्प चढ़ गये
कदम कदम बढ़ गये

टोलियाँ की टोलियाँ जब चल पड़ी यौवन की
तो चौखट चरमरा गये सिंहासन हिल गये
प्रजातंत्र के पहरेदार सारे भेदभाव तोड़
सारे अभिनिवेश छोड़, मंजिलों पर मिल गये
चुनौती की हर पंक्ति को सब एक साथ पढ़ गये
कदम कदम बढ़ गये

सारा देश बोल उठा जयप्रकाश जिंदाबाद
तो दहल उठे तानाशाह
भृकुटियां तन गई
लाठियाँ बरस पड़ी सीनों पर माथे पर

विरोध प्रदर्शन का भी हिस्सा बने थे मोदी

जब आपातकाल लगाया गया था तो उसके खिलाफ नरेंद्र मोदी विरोध प्रदर्शन में भी शामिल हुए थे। मोदी और अन्य स्वयंसेवकों ने बैठकें आयोजित करी थी और भूमिगत होकर साहित्य के प्रसार की जिम्मेदारी अपने उपर ली थी। उस समय उन्होंने नाथ ज़गड़ा और वसंत गजेंद्रगडकर जैसे वरिष्ठ आरएसएस नेताओं के साथ मिलकर के तत्कालीन सरकार के विरुद्ध काम किया था। कड़ी सुरक्षा के कारण सूचना का प्रसार एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि नरेंद्र मोदी ने एक अनोखा समाधान निकाला। उन्होंने संविधान, कानूनों और कांग्रेस सरकार की ज्यादतियों से संबंधित सामग्री को गुजरात से अन्य राज्यों के लिए प्रस्थान करने वाली ट्रेनों में लोड कर दिया था।

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