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क्या राज्यपाल के पास है सजा माफी का अधिकार राज्य व केंद्र सरकार दें जवाब- सुप्रीम कोर्ट

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क्या राज्यपाल के पास है सजा माफी का अधिकार राज्य व केंद्र सरकार दें जवाब- सुप्रीम कोर्ट

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SC– सुप्रीम कोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए पूंछा है कि क्या राज्यपाल के पास सजा माफी का अधिकार है। क्या राज्यपाल दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code-CrPC) की धारा 433-ए के नियमों के बावजूद दोषियों को सजा में सामूहिक छूट दे सकते हैं। 

इसके तहत उम्रकैद के दोषी को 14 साल जेल में बिताने के बाद माफी दी जा सकती है। जानकारी के लिये बता दे सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था कि जघन्य अपराध में अगर किसी अपराधी को आजीवन कारावास की सजा मिलती है। 

तो उसे अपना पूरा जीवन जेल में काटना होगा। हालाकि कोर्ट ने कहा था कि यह फैसला सीआरपीसी की धारा 433-ए के तहत 14 साल की कैद से गुजरने के बाद सजा को माफ करने की राज्य की शक्ति को खत्म नहीं करेगा।

लेकिन कई राज्यों के राज्यपाल ने अनुच्छेद 161 के तहत अपनी क्षमा और छूट की शक्तियों का प्रयोग किया था और अपराधियों की सजा को माफ कर दिया। इसी परिपेक्ष्य में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। 

कोर्ट ने कहा, क्या संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए एक नीति बनाई जा सकती है, जहां कुछ निश्चित नियम या शर्तों को तय किया जा सकता है, जिनके पूरा होने पर कार्यपालिका द्वारा किसी भी मामले के संबंध में तथ्यों या सामग्री को राज्यपाल के सामने रखे बिना सजा में छूट का लाभ दिया जा सकता है. और क्या इस तरह की व्यवस्था संहिता की धारा 433-ए के तहत तय जरूरतों को खत्म कर सकती है.

जस्टिस इंदिरा बनर्जी, हेमंत गुप्ता, सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और सुधांशु धूलिया की पीठ ने इस मुद्दे को उठाया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति की छूट और क्षमा की शक्तियों पर एक अलग असर पड़ेगा और इसलिए केंद्र के तर्कों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. 

पीठ ने कहा कि यह अन्य राज्यों को भी प्रभावित कर सकता है और केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी करने का फैसला किया है. जिसमें उन्हें चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है.