Join WhatsApp
Join NowDeep Amavasya 2025: हिंदू पंचांग और परंपरा में हर तिथि का अपना एक विशेष महत्व होता है, और अमावस्या तिथि को पितरों की पूजा और आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। आषाढ़ मास के अंत में और पवित्र श्रावण मास के प्रारंभ से ठीक पहले आने वाली अमावस्या को दीप अमावस्या (Deep Amavasya) के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र और भारत के कई अन्य हिस्सों में इसे ‘दिव्याची अमावस्या’ और ‘आषाढ़ अमावस्या’ भी कहते हैं। इस वर्ष, यह शुभ तिथि 24 जुलाई 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी।
यह दिन अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इस दिन घर में मौजूद सभी दीयों की पूजा की जाती है, जो हमारे जीवन में ज्ञान, सकारात्मकता और समृद्धि के प्रकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रसिद्ध पंचांगकर्ता और फलज्योतिषी गौरव देशपांडे ने दीप अमावस्या की संपूर्ण पूजा विधि और उससे मिलने वाले अद्भुत लाभों के बारे में विस्तार से बताया है।
दीप अमावस्या पर कैसे करें दीयों की पूजा? (Deep Amavasya 2025 Puja Vidhi)
इस दिन की जाने वाली पूजा बहुत सरल लेकिन अत्यंत प्रभावी होती है। इन चरणों का पालन करके आप संपूर्ण फल प्राप्त कर सकते हैं:
- दीयों की स्वच्छता: पूजा का सबसे पहला चरण है घर में मौजूद सभी दीयों की स्वच्छता। आपके घर में जितने भी पीतल, तांबे, चांदी या अन्य धातुओं के दीये (जिन्हें निरंजन भी कहते हैं) हों, उन्हें अच्छी तरह से साफ कर लें। उन्हें चमकाकर पूजा के स्थान पर रखें।
- मिट्टी के दीयों का समावेश: यदि आपके घर में मिट्टी की पणतियां या दीये हैं, तो उन्हें भी पूजा में अवश्य शामिल करें। मिट्टी को अत्यंत पवित्र माना जाता है। सभी दीयों को एक पाटे या चौकी पर सुंदर से सजाकर रखें।
- दीये प्रज्वलित करना: अब सभी स्वच्छ दीयों में शुद्ध घी या तिल के तेल की बाती लगाकर उन्हें प्रज्वलित करें। एक साथ जलते हुए अनेक दीपकों का दृश्य घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर देता है।
- पंचोपचार पूजन: पंचोपचार पूजन का अर्थ है पांच पवित्र वस्तुओं से पूजा करना। प्रज्वलित दीयों का पूजन इन पांच उपचारों से करें:
- गंध: दीयों को हल्दी-कुमकुम और चंदन का तिलक लगाएं।
- पुष्प (फूल): उन्हें ताजे और सुगंधित फूल अर्पित करें।
- धूप: सुगन्धित धूप या अगरबत्ती दिखाएं।
- दीप: दीपक से ही दीपक की आरती करें।
- नैवेद्य: उन्हें विशेष नैवेद्य अर्पित करें।
- नैवेद्य समर्पण: दीप अमावस्या पर खील (लाई), फुटाणे (भुने चने), दूध और शक्कर का नैवेद्य अर्पित करने की परंपरा है। यह सात्विक भोग अग्नि देव को समर्पित किया जाता है।
- मंत्र जाप और प्रार्थना: प्रज्वलित अग्नि नारायण के समक्ष हाथ जोड़कर इस शक्तिशाली मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें:“भो दीप ब्रह्मरूपस्त्वं ज्योषिषां प्रभुरव्ययः।
आरोग्यंदैहिपुत्रांश्च अवैधव्यं प्रयच्छमे॥”(अर्थ: हे दीप, आप ब्रह्म का स्वरुप हैं, आप प्रकाश के स्वामी और अविनाशी हैं। आप मुझे आरोग्य और पुत्र प्रदान करें तथा मेरे सौभाग्य (अवैधव्य) को अखंड बनाए रखें।)
ज्योतिषी गौरव देशपांडे के अनुसार, इस सरल विधि से पूजा करने पर व्यक्ति को दीर्घायु और उत्तम आरोग्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से महिलाओं के लिए यह पूजा अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाली मानी गई है।
दीप अमावस्या 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Tithi and Shubh Muhurat)
- अमावस्या तिथि का आरंभ: 24 जुलाई 2025, गुरुवार, सुबह 7:28 बजे से
- अमावस्या तिथि का समापन: 25 जुलाई 2025, शुक्रवार, सुबह 9:17 बजे तक
- अमृत काल (पूजा का शुभ मुहूर्त): 24 जुलाई 2025, दोपहर 1:30 बजे से लेकर दोपहर 3:00 बजे तक। यह पूजा के लिए दिन का सबसे शुभ समय रहेगा।