डेस्क। पितरों के लिए धूप-ध्यान, पिंडदान और धूप ध्यान करने का महापर्व पितृ पक्ष (Pitru paksha 2022) शुरू हो चुका है। पितृ पक्ष 25 सितंबर तक रहने वाला है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पितरों के लिए शुभ कर्म करने की परंपरा बहुत ही पुराने समय से आजतक चली आ रही है। वहीं महाभारत में भी श्राद्ध का जिक्र मिलता है।
इसके अनुसार भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को इस पक्ष के बारे में नियम और जरूरी बातें बताई थीं। महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह और युधिष्ठिर के संवाद मिलते हैं। इसी बातचीत में भीष्म ने युधिष्ठिर को श्राद्ध कर्म के बारे में भी जानकारी दी है।
Pitru paksha 2022: महर्षि निमि से जुड़ी है श्राद्ध पक्ष की ये परंपरा
महाभारत में अनुशासन पर्व के अध्याय 91 में महर्षि निमि की कथा है।
ब्रह्मा जी से अत्रि मुनि की उत्पत्ति होती है, अत्रि मुनि के यहां दत्तात्रेय भगवान का जन्म हुआ और दत्तात्रेय के यहां निमि ऋषि का जन्म होता है।
इसमें निमि ऋषि का एक पुत्र था श्रीमान। श्रीमान की मृत्यु कम उम्र में ही हो गई थी। फिर निमि ऋषि अपने पुत्र के वियोग में दुखी थे। और एक बार निमि ऋषि ने अमावस्या तिथि पर पुत्र के लिए श्राद्ध कर्म किया था। उन्होंने ब्राह्मणों को भोजन कराया। इनके बाद से ही श्राद्ध करने की परंपरा शुरू हो गई।
महाभारत में ब्रह्मा, पुलस्त्य, वसिष्ठ, पुलह, अंगिरा, क्रतु और महिर्ष कश्यप ये सात मुख्य पितर देवता माने जाते हैं। श्राद्ध कर्म करने से हमें मृत व्यक्ति के जाने का दुख सहन करने की शक्ति प्राप्त होती है। इससे दुख कम होता है। मन ये भाव उत्पन होता है कि हमने हमारे प्रिय व्यक्ति के लिए कुछ अच्छा काम किया है जिससे उनको शांति मिलेगी।