आध्यात्मिक– कहते हैं घमंड इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। जब व्यक्ति को घमंड हो जाता है तो उसे सही गलत नही दिखाई देता। वह अपने से बड़े का सम्मान करना भी भूल जाता है और उसे यह नही ज्ञात होता की वास्तव में वह जिस बात के लिए घमंड कर रहा है। उसे वहां तक पहुंचने के लिए कितने लोगों ने संघर्ष किया है।
कुछ ऐसा ही किस्सा है महाभारत के युद्ध के बाद अर्जुन की स्थिति का। जब महाभारत का युद्ध हुआ और अर्जुन ने बड़े बड़े महारथियों को पराजित कर दिया। तो उनके मन मे घमंड उत्पन्न हुआ। उन्हें लगा उनके बाण और उनमें बड़ा सामर्थ्य है। वह कुछ भी कर सकते हैं। और युद्ध के बाद जब वह अपने शिविर श्री कृष्ण के साथ रथ पर बैठ कर गए तो शिविर पंहुचने पर कृष्ण ने अर्जुन से कहा पार्थ रथ से नीचे उतरो।
अर्जुन बोले माधव आप तो सारथी है। पहले आप रथ से ऊपर उतारिये। लेकिन बाद में जब कृष्ण में पुनः अर्जुन से यह कहा तो वह मन मे कोई भाव लिए उतर गए। और जैसे ही कृष्ण रथ से उतरे एक बड़ा धमाका हुआ रथ टुकड़े टुकड़े में विभक्त हो गया।
अर्जुन ने पूंछा यह क्या है। तब कृष्ण ने कहा, युद्ध के दौरान तुमपर महाशक्ति से वार हुए थे। लेकिन तुमपर उसका प्रभाव नही पड़ा। जानते हो क्यों।अर्जुन बोले क्यों। क्योंकि रथ पर मैं सवार था। कृष्ण के मुख से यह सुनकर अर्जुन की आंखे खुल गई और उन्हें समझ आया जीत उनकी नही धर्म की हुई है। यदि कृष्ण उनके पक्ष में न होते तो वह यह युद्ध जीतने का सामर्थ्य नही रखते थे।