डेस्क। कई बार हर धर्म में कोई न कोई ज्ञानी ऐसी तर्कहीन बात कह जाता है जिसका मर्म समझे बिना, समाज उसे धार्मिक नियम में परिवर्तित कर देता है । वहीं यह नियम साल दर साल, पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते ही रहते हैं। वहीं उन पर तर्क के बजाय अंधविश्वास चलता रहा है।
ऐसी ही एक मान्यता है जिसमे श्राद्ध पक्ष में कुछ भी न खरीदने के लिए कहा जाता है और 15- 16 दिन बाजार मुरझाया सा नजर आता है।
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वहीं शादी विवाह से जुड़े लोग, जौहरी, कार बाजार, निर्माण कारोबार आदि में सब लोग अक्सर इस दौरान खाली बैठे दिखाई देते हैं। वहीं असल में श्राद्ध पक्ष तो एक श्रद्धा पक्ष है जिसमें पितृ अपनी संतति से मिलने के लिए आते हैं। और अपने परिवार की उन्नति देखकर वे प्रसन्न होंगे न कि नाराज।
यह कहना सरासर गलत होगा कि पितृ पक्ष में नई चीजें खरीदने से पूर्वज नाराज हो जाते हैं और आशीर्वाद नहीं देते। क्योंकि ऐसी धारणा का शास्त्रों में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है। आपको इन 16दिनो में नियमित कामों के साथ ही अपने पूर्वजों की स्मृति में अच्छे कर्म करने चाहिए।
सबसे बेस्ट है कि इन दिनों आप निर्धनों की सेवा, सामाजिक और धार्मिक कार्य करें। लंगर लगाएं, पेड़ लगाएं, दवाएं बांटें ये अन्य दिनों की तरह ही शुभ होते हैं जब पितर हमारे घर आते हैं। उन्हें याद करके उनका आशीर्वाद पाएं।
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