डेस्क। हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार हर इंसान का जन्म पिंडज योनि के तहत ही होता है इसलिए हिन्दू धर्म में पिंड दान की काफी धार्मिक मान्यता है। हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पिंडदान का धार्मिक महत्व होता है। पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण के जरिए हर परिवार अपने पूर्वजों की आत्मिक शांति के उपाय के रूप में करता है।
इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 से शुरू होने जा रहा है, जो 15 दिन तक यानी 25 सितंबर 2022 तक चलने वाला है।
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा अपने परिवार वालों को आर्शीवाद देने के लिए धरती लोक पर वापस आती है। ऐसे में पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण के समय काफी सावधानी रखने की आवश्यकता होती है। इस अवधि के दौरान ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए, जिससे पितरों की आत्मा को दुख हो। इस दौरान तामसिक भोजन का न करने की भी सलाह दी जाती हैं।
घर बैठे ऐसे आप बन सकते हैं लखपति, बिना किसी इन्वेस्टमेंट के
किसी को भी पितृपक्ष के दौरान तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान लहसुन और प्याज का सेवन भी वर्जित होता है। क्योंकि लहसुन-प्याज को तामसिक भोजन माना जाता है, इसलिए पितृ पक्ष के दौरान भोजन में लहसुन-प्याज का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा पितृपक्ष में मांसाहारी भोजन और शराब आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए ।
मसूर की दाल
पितृ पक्ष के दौरान कच्चे अनाज का भी सेवन नहीं करना चाहिए आप अनाज में कुछ भी कच्चा न खाएं जैसे दाल, चावल और फिर आटा। श्राद्ध के दौरान किसी भी रूप में दाल का प्रयोग वर्जित होता है। विशेषकर मसूर की दाल का सेवन तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि मसूर की दाल को भी तामसिक ही माना गया है।
वो मुस्लिम जिसने दिया सरेआम कत्ल का आदेश भारत से की 3 करोड़ की लूट
श्राद्ध पक्ष में कभी न खाएं ये सब्जियां
श्राद्ध पक्ष के दौरान आलू, मूली, अरबी और कंद वाली सब्जियों का सेवन भी नहीं करना चाहिए। और ना ही ब्राह्मण भोज के दौरान खिलाना चाहिए।
पितृ पक्ष में न करें इसका सेवन
पितृ पक्ष के दौरान चने के सेवन को भी वर्जित बताया गया है। श्राद्ध में चना वर्जित है, इसलिए श्राद्ध में चने, चने की दाल और चने का सत्तू खाना और खिलाना भी वर्जित होता है।
टूटे चावल के निर्यात पर क्यों रातों रात सरकार ने लगाया बैन