धर्म

शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना के समय नारिलय का होता है विशेष महत्त्व 

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शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना के समय नारिलय का होता है विशेष महत्त्व 

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Shardiya Navratri 2022 Kalash Sthapna: इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो रही हैं। वहीं इसमें पूरे नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। वहीं इस अवधि में देवी की उपासना से सारे संकट दूर हो जाते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है।

नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है। इसमें एक कलश पर कलावा भी बांधा जाता है और उसके मुख पर आम या अशोक के पत्तों को बांधा जाता हैं। और फिर कलश पर लाल रंग की चुनरी भी बांधी जाती है। इसके बाद कलश पर रखने का भी रिवाज है। 

क्या होता है कलश पर नारियल रखने का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के माने तो शुभ या मांगलिक कार्यों से पहले कलश स्थापना करना अनिवार्य होता है। नारियल को माता लक्ष्मी का फल माना गया है। ऐसा कहते हैं कि भगवान विष्णु जब पृथ्वी पर अवतरित हुए तो वे अपने साथ माता लक्ष्मी, कामधेनु गाय और नारियल का वृक्ष ही लेकर आए थे। इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव समाहित होते हैं। इसलिए किसी भी शुभ कार्य से पहले कलश पर नारियल को रखा जाता है।

कलश पर नारियल रखने के क्या होते हैं नियम

नवरात्रि में कलश पर नारियल रखने से पहले कुछ विशेष बातों पर आपका ध्यान देना बहुत जरूरी है। आपने अक्सर यह देखा होगा कि नारियल के मुख पर तीन बिंदु मौजूद होते हैं। ऐसी मान्यता भी है कि ये नारियल की आंख और मुंह होता है। नारियल का मुख उस तरफ होता है, जहां से वो पेड़ की टहनी से जुड़ा हुआ होता है। इसलिए कलश पर नारियल रखते समय यह ध्यान रहे कि उसका मुख साधक की तरफ होना चाहिए। 

इसके साथ ही कलश के मुंह पर नारियल रखने से पहले उसमें एक सिक्का भी अवश्य डालें। इसके बाद इस पर अशोक के पत्ते लगाएं और फिर नारियल रख दें। इस विधि से कलश स्थापित करने पर ही देवी-देवताओं को पूजन स्वीकार्य होता है ऐसी मान्यता है।