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जाने क्यों हिन्दू धर्म में भोजन करने से पहले मंत्रोच्चरण का बनाया गया है नियम

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जाने क्यों हिन्दू धर्म में भोजन करने से पहले मंत्रोच्चरण का बनाया गया है नियम

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जाने क्यों हिन्दू धर्म में भोजन करने से पहले मंत्रोच्चरण का बनाया गया है नियम

आध्यात्मिक – हिन्दू धर्म में मनुष्य के जीवन से जुड़े कई नियम व कानून बनाये गए है। व्यक्ति अपना जीवन धार्मिक रीति रिवाजो और नियमो के मुताबिक गुजारने का हर संभव प्रयास करता है। कहते है अगर व्यक्ति धार्मिक ग्रंथो में बताये गए सभी नियमो के अनुकूल अपना जीवन बिताता है तो उसके जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते है और व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन सुखमय व्यतीत होता है. व्यक्ति के जीवन की प्रत्येक दिनचर्या को लेकर हिन्दू धर्म में नियम बनाये गए है यदि कोई व्यक्ति सुबह उठता है तो उसका अलग नियम है , कोई पूजा करता है उसका अलग नियम है , कोई भोजन करता है उसका अलग नियम है। ठीक इसी प्रकार धार्मिक ग्रंथो में जीवन की एक एक गतिविधि से जुड़े नियमो का उल्लेख किया गया है.

वही आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे है भोजन से जुड़े एक नियम के पीछे छुपे रहस्य के बारे में जो आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। हमने अक्सर देखा होगा हिन्दू धर्म के नीति निर्देश के मुताबिक जब कोई मनुष्य भोजन करने बैठता है तो वह चारपाई पर भोजन न करके जमीन पर बैठ क्र भोजन करता है और खाने की थाली के चारो और जल छिड़कता है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिसे हर किसी ने देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया है की आखिर हिन्दू धर्म में लोग ऐसा क्यों करते है ?

असल में धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति भोजन करने से पहले अपनी थाली के चारो और जल छिड़कता है और ईश्वर को याद करते हुए भोजन आरम्भ करता है। तो उस व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उसे कभी रोगो से ग्रसित नहीं होना पड़ता है। अगर आप भोजन के चारो और जल का छड़काव करते है और खुशी के साथ बिना भोजन का अपमान किये भोजन ग्रहण करते है तो आपके परिवार पर माता अन्नपूर्णा का आशीर्वाद बना रहता है और आपके घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती हैं।

वही अगर हम इसका वैज्ञानिक तर्क देखे तो जब हम जमीन पर बैठ क्र भोजन करते है तो जमीन पर धूल मिट्टी के कण होते है। जब हम पानी का छिड़काव अपनी थाली के चारो और करते है तो धूल मिट्टी के कण जमीन में बैठ जाते है और हमारा भोजन कीटाणुओं के प्रकोप से बच जाता है. वही खुशी मन से भोजन करत=ने से भोजन हमारे शरीर में लगता है और हमारा स्वास्थ्य बेहतर रहता है