आध्यत्मिक– अगर आप किसी से सीखते हैं। तो वह हमारा सच्चा गुरु होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि गुरु हमें कैसे सिखाता है और कौन होता है जिससे हम वास्तविकता का ज्ञान अर्जित कर पाते हैं।
गुरु ईश्वर का स्वरूप होता है। जो व्यक्ति गुरु को मनुष्य न समझ कर उसमें ईश्वर का रूप देखता है और उसकी बातों को अपने जीवन मे उतारने से पूर्व विचार नहीं करता। वही गुरु से सीख पाता है।
गुरु कैसे अपने शिष्य को सिखाता है यह आज के समय का बड़ा सवाल है। लेकिन आपको यह जानकर ताज्जुब होगा की गुरु कभी भी अपने शिष्य को किताबी ज्ञान नहीं देता है। वह उसे ह्रदय की भाषा सिखाता है और उसे ज्ञानी बनाने के साथ साथ उसका मार्गदर्शन भी करता है।
जो व्यक्ति गुरु से सीखता है। उसके मन से ईर्ष्या, छल, कपट का भाव खत्म हो जाता है और वह स्वतः ही सच्चाई के पथ पर आगे बढ़ने लगता है। उसे इस संसार के मोह माया से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उसके गुरु ने उसे एक आगे बढ़ने और सत्य के सूत्र में बांधा होता है।