डेस्क। कर्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी प्रबोधिनी को देवउठनी एकादशी के नाम से भी जानी जाता है। बता दें प्रबोधिनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी या देवथान के नाम से भी जाना जाता है।
यह चतुर्मास के चार महीने की अवधि के अंत के प्रतीक रूप में होती है, इन चार महीनों के दौरान भगवान विष्णु नींद में रहते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि विष्णु शयनी एकादशी को सोते हैं और प्रबोधिनी एकादशी को उठते हैं, इस प्रकार इस दिन को प्रबोधिनी एकादशी, विष्णु-प्रबोधिनी और हरि-प्रबोधिनी, देव-प्रबोधिनी के नाम से बुलाया जाता है। इस एकादशी, उत्थान एकादशी, देवथान, देव उत्सव एकादशी या देव ऊथी एकादशी। हिंदू धर्म में चातुर्मास में हिंदू विवाह निषिद्ध है।
बता दें प्रबोधिनी एकादशी से हिंदू धर्म में विवाह के मौसम की शुरुआत का प्रतीक भी माना गया है। इसे कार्तिकी एकादशी, कार्तिक शुक्ल एकादशी और कार्तिकी के नाम से भी जाना जाता है वहीं प्रबोधिनी एकादशी के बाद कार्तिक पूर्णिमा आती है, जिसे देव दिवाली या देवताओं की दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है।
देव उठनी एकादशी शुभ मुहूर्त 2022
देव उठनी एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन एकादशी तिथि का आरंभ 03 नवंबर 2022 को शाम 7 बजकर 30 मिनट से होकर 04 नवंबर 2022 शाम 06 बजकर 08 मिनट तक रहेगा।
देवउठनी एकादशी के दिन भूलकर न करें ये काम
दूसरे के घर पर न करें भोजन
देवउठनी एकादशी के दिन किसी दूसरे के घर का भोजन नहीं करना चाहिए वही यहां तक कि दूसरे के घर का पानी तक नहीं पीना चाहिए। एकादशी के दिन भगवान नारायण को पान अर्पित भी किया जाता है, ऐसे में व्यक्ति को पान नहीं खाना चाहिए। वही इसके अलावा एकादशी तिथि पर जौ, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली को खाना भी वर्जित माना गया है।
देवउठनी एकादशी के दिन बाल, दाढ़ी व नाखून आदि काटने से भी परहेज करना चाहिए।
एकादशी के दिन झाडू भी न लगाएं।