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डेस्क। हरियाणा का चुनावी दंगल शुरू हो चुका है। यहां की 90 सीटों के लिए 5 अक्तूबर को मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने भविष्य तय करेंगे।

राज्य में 6 सितंबर से चुनावी प्रक्रिया शुरू हो गई है। तमाम सीटों पर उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर रहे हैं जिमसें से कई निर्दलीय भी शामिल हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में सात निर्दलीय उम्मीदवार जीतकर सदन में पहुंचे थे। इनमें से कई विधायकों ने समय-समय पर मौजूदा सरकार को बचाया भी है।

पिछली बार के जीते कुछ निर्दलीय विधायकों को अब भाजपा और कांग्रेस से भी टिकट दिए गए हैं।

पुंडरी विधानसभा सीट जो कैथल जिले में पड़ती है। पुंडरी से मौजूदा विधायक रणधीर सिंह गोलेन हैं, जो 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते थे। वहीं इस सीट पर लगातार छह बार से निर्दलीय ही जीत रहे हैं और कुल सात बार निर्दलीय जीते हैं। 1968 के विधानसभा चुनाव में पहली बार पुंडरी सीट पर आजाद प्रत्याशी की जीत हुई थी और उस चुनाव में कांग्रेस के तारा सिंह के सामने निर्दलीय ईश्वर सिंह को सफलता मिली थी।

इसके बाद 1996 में निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई और इस चुनाव में नरेंदर शर्मा ने कांग्रेस से उतरे ईश्वर सिंह को शिकस्त दी। ये वही ईश्वर सिंह थे जिन्होंने 1968 में निर्दलीय चुनाव जीता था, लेकिन बाद में कांग्रेस का हिस्सा बने थे।

2000 में हुए चुनाव में मुख्य मुकाबला दो निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच में हुआ था। इसमें एक निर्दलीय तेजवीर ने दूसरे निर्दलीय नरिंदर को मात दे दी थी।

2004 में निर्दलीय दिनेश कौशिक ने इनेलो की तरफ से उतरे नरेंदर शर्मा ने को भी शिकस्त दी है। अगले चुनाव में दिनेश कौशिक कांग्रेस का चेहरा बनकर उतरे, पर उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी सुल्तान के हाथों हार झेलनी पड़ी थी।

अगर बात करें 2014 की तो इस बार दिनेश कौशिक की जीत हुई थी। इस बार उन्होंने भाजपा की तरफ से उतरे रणधीर सिंह गोलेन को परास्त किया। साथ ही कौशिक इससे पहले 2004 में भी निर्दलीय जीते थे। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो इसमें भी एक निर्दलीय को सफलता मिली थी। रणधीर सिंह गोलेन ने कांग्रेस के सतबीर भाणा को 12824 मतों से शिकस्त दे दी थी।