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डेस्क। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रतिपक्ष के नेता ने अमेरिका के डलास में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बोला, किसी भी मुद्दे पर कुछ बोलने से पहले सुनना बेहद अहम पहलू होता है।

उन्होंने कहा है कि आप हर मुद्दे को नहीं उठाते, बल्कि बुनियादी मुद्दों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो आप अपनी लड़ाइयों को बहुत सावधानी से चुनते हैं।

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विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच आयोजित इस समारोह में राहुल गांधी ने कांग्रेस की जनसंपर्क की कवायद- भारत जोड़ो यात्रा, बेरोजगारी के मुद्दे जैसे कई अहम विषयों पर भी बात करी।

उन्होंने बोला, भारत में देवता का मतलब दरअसल ऐसा व्यक्ति होता है जिसकी आंतरिक भावनाएं उसकी बाहरी अभिव्यक्ति के बिल्कुल समान हो जाती हैं, यानी वह पूरी तरह पारदर्शी होता है। उन्होंने ये भी कहा कि देवता का मतलब भगवान नहीं होता।

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राहुल गांधी के अनुसार, ‘अगर कोई व्यक्ति मुझे अपनी हर बात बता दे जो वह मानता है या सोचता है और उसे खुलकर व्यक्त करता है, तो यही देवता की परिभाषा होती है।’ उन्होंने भारतीय राजनीति का जिक्र करते हुए कहा, हमारी राजनीति के बारे में दिलचस्प बात यह है कि आप अपने विचारों को कैसे दबाते हैं, आप अपने डर, लालच या महत्वाकांक्षाओं को कैसे दबाते हैं और दूसरे लोगों के डर और महत्वाकांक्षाओं पर कैसे आप नजर रखते हैं।

राहुल गांधी ने अपनी देशव्यापी पदयात्रा को याद कर बोला, कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने मेरे काम के बारे में सोचने के तरीके को मौलिक रूप से काफी बदल दिया। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं कहूंगा कि इसने राजनीति को देखने के मेरे तरीके, अपने लोगों को देखने के तरीके, उनके साथ संवाद करने के तरीके और उनकी बातों को सुनने के तरीके को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। यह सिर्फ़ मैं ही नहीं था, यात्रा में कई और भी लोग शामिल थे। हम सभी के लिए, सबसे शक्तिशाली चीज़ जो स्वाभाविक रूप से हुई, जिसकी हमने योजना भी नहीं बनाई थी, वह थी राजनीति में प्रेम के विचार का परिचय देना।’