राजनीति

क्यों धर्मांतरण बना पंजाब का बड़ा मुद्दा

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क्यों धर्मांतरण बना पंजाब का बड़ा मुद्दा

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Punjab – पंजाब के धर्म परिवर्तन को लेकर विद्रोह छिड़ा हुआ है। सिखों और हिंदुओं का दावा है कि उन्हें गुमराह किया जा रहा है। लगातार ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार बढ़ता जा रहा है। तेजी से पंजाब में मस्जिद और चर्च बन रहे हैं। जो सिखों और हिंदुओ के लिये चिंता का विषय बन गए हैं।

यह विद्रोह तब छिड़ गया जब अमृतसर के गांव में ईसाई मिशनरियों का एक कार्यक्रम चल रहा था। उस कार्यक्रम में उपस्थित हुए सिखों ने कार्यक्रम का विरोध करना शुरू कर दिया। सिखों का दावा है कि ईसाई संस्कृति का प्रचार प्रसार करके जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। यह वास्तव में विचाराधीन है। हम इस सबसे परेशान हैं। तेजी से बढ़ते धर्मपरिवर्तन ने हमे मजबूर किया है धर्म परिवर्तन के संदर्भ के कानून लाने की मांग करने के लिये।

अगर हम संविधान के मुताबिक देखे तो भारत के प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह कोई भी धर्म अपना सकता है। जब चाहे वह अपना धर्म बदल सकता है। वही जब कोई व्यक्ति अपने धर्म को बदलता है तो उसे धर्मांतरण कहा जाता है। कोई भी व्यक्ति दो तरीके से अपना धर्म परिवर्तन कर सकता है। एक कानून के आधार पर एक धार्मिक मान्यताओं का अनुसरण करके।

अगर हम पंजाब में धर्म परिवर्तन के मामले की बात करे तो यह नया नहीं है। समय समय पर पंजाब के धर्म परिवर्तन का मुद्दा उफनता रहता है। आजादी से पहले सिखों में अमृत प्रचार, आर्य समाज में शुद्धि और इस्लाम में तब्लीग और तंजीम आंदोलन चलाए गए थे। 

एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 8,000 ईसाइयों को सिख धर्म मे परिवर्तित किया गया था। लेकिन इसके बाद से धर्म परिवर्तन पंजाब का एक मुद्दा बन गया और इसने राजनीति में अपनी जगह बना ली। पंजाब में तेजी से हो रहे धर्म परिवर्तन का समाज पर कोई असर नहीं पड़ा। लेकिन इसने पंजाब की राजनीति को काफी परिवर्तित किया।