Politics – आज विजय दशमी के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने महिला को इंगित करते हुए कहा है कि देश आगे तब तक नही बढ़ सकता है जब तक हम महिलाओ को आगे नही लेकिन आते।
उन्होंने कहा, आज हमे सिर्फ शिक्षा की जो नीतियां है उनमे बदलवा की जरूरत नही बल्कि सामजिक वातावरण में भी बदलाव लाने की आवश्यकता है। क्योंकि समाज भविष्य के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। गांधी जी से अपनी पढ़ाई अंग्रेजी स्कूलों से की थी लेकिन फिर भी वह भारत की संस्कृति से जुड़े थे। क्योंकि उस समय सामाजिक वातावरण उस तरह का था।
बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर ने संविधान लिखा। अधिकारों की बात की सभी को समता का अधिकार दिया और समाज मे बदलाव लाने के लिए कदम उठाए। लेकिन असल बदलवा तभी सम्भव है जब हम सामाजिक परिदृश्य को बदलने जो बातें संविधान में लिखी है वह लोग अपने अंदर उतार लें।
उन्होंने आगे कहा, इस बात पर कोई सवाल नही उठा सकता कि हम उभरे नही है। पहले की अपेक्षा हम काफी आगे बढ़े है। हमे अपनी महिलाओ को शशक्त बनाना होगा। क्योंकि किसी भी देश का विकास एक कंधे पर सम्भव नही है। महिलाओं को अब हर तमगे पर आगे आना होगा। आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारा नाम बढ़ा है।
हमने अभी हाल ही के दिनों में आर्थिक संकट से जूझ रहे श्री लंका की मदद की और जिस तरह रूस युक्रेन युद्ध मे हमने दोनो देश के बीच इस युद्ध को खत्म कराने के परिपेक्ष्य में पुतिन के सम्मुख अपना मत रखा सराहनीय है।
उन्होंने मातृ भाषा का जिक्र करते हुए कहा अंग्रेजी सफलता के लिए आवश्यक नहीं है। हमारी मातृ भाषा हमारी शान है। अगर सभी अपने बच्चो को अंग्रेजी ही पढ़ाने का सपना देख रहे हैं तो नई शिक्षा नीति का क्या मतलब है। अगर आप अपने बच्चे को स्कूल कमाने की नीति से भेज रहे हैं तो यह बच्चो का देश के प्रति प्रेम खत्म कर रहा है।