इतिहास– पंडित जवाहर लाल नेहरू और भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने देश के विकास हेतु कई काम किए हैं। उन्होंने देश की सूरत बदलने के लिए कई कदम उठाए और देश की आजादी में उनका योगदान भी रहा है। इन दोनों महान शख्सियतों ने देश हित हेतु कई प्रयास किए। लेकिन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और राजेंद्र प्रसाद जी का रिश्ता और उनके मतभेद हमेशा चर्चा का विषय रहे।
जानकारों का कहना है कि दोनो ही महानायक देश के संवैधानिक पद पर थे। उन्होंने हमेशा अपने पद की गरिमाओं को बनाए रखा। लेकिन उनके आपसी रिश्तों में वह प्रेम कभी नहीं दिखा जिसकी अभिलाषा राजनेताओं को थी।
दावा किया जाता है कि राष्ट्रपति के रूप में पहला कार्यकाल नेहरू राजगोपालाचारी को सौंपना चाहते थे। वही दूसरे कार्यकाल में वह इस पद पर उपराष्ट्रपति एस राधाकृष्णन को देखना चाहते थे। लेकिन यह दोनो राजेन्द्र प्रसाद की ओर झुकाव रखते थे। जिस कारण उन्हें देश का पहला राष्ट्रपति चुना गया।
डॉ राजेन्द्र प्रसाद का हर कोई सम्मान करता था। क्योंकि उनके विचार और उनकी प्रतिभा बहुत ऊंची थी। स्वयं नेहरू उन्हें सम्मान के भाव से देखते थे। बस इन दोनों के मध्य विवाद एक ही था। भिन्न भिन्न तर्क।
दुर्गादास के मुताबिक- नेहरू धर्म निरपेक्ष वादी थे। जबकि राजेन्द्र प्रसाद भारत की धर्म निरपेक्ष छवि का प्रतिनिधित्व नहीं करते थे। उनकी यह विचारधारा नेहरू और उनके मध्य विवाद की बडी खाई साबित हुई थी।