इतिहास– बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर अपनी नीतियों के लिए आज भी आलोचकों के निशाने पर रहते हैं। अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन शोषितों को उनके अधिकार दिलाने और समाज में महिलाओं को सम्मान दिलाने हेतु समर्पित कर दिया।
अंबेडकर आरम्भ से ही हिन्दू धर्म के खिलाफ थे। उनका यकीन था की हिन्दू धर्म भारत के लिए जहर है। जो भारत को आगे बढ़ने से रोक रहा है। वही अगर भारत को हिन्दू राष्ट्र बना दिया गया तो भारत मे लोगो को समानता से देखना एक स्वप्न हो जाएगा। भीमराव अंबेडकर हिन्दू धर्म को भारत के लिए बीमारी बताया था।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर न सिर्फ हिन्दू धर्म के खिलाफ थे। अपितु उन्हें मुस्लिम धर्म से भी समस्या थे। उनका यह मानना था कि यह दोनो धर्म एक दूसरे के पूरक हैं और दोनो रूढ़ीवादी से जकड़े है। शायद यही कारण था कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने अपने साथियों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया था।
जब बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया तो उन्होंने कुछ विशेष प्रतिज्ञा ली। उनकी इन प्रतिज्ञाओं के बारे में बहुत कम जिक्र किया जाता है। वही आज हम आपको बताते हैं किन प्रतिज्ञाओं के साथ अंबेडकर बने थे बौद्ध धर्म के अनुयायी….
जब अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया तो उन्होंने प्रतिज्ञा ली की मैं ब्रह्म, विष्णु और महेश को कभी ईश्वर नही मानूंगा और न उनकी पूजा करूंगा।
मैं राम और कृष्ण को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा, और न ही मैं उनकी पूजा करूंगा.
मैं गौरी, गणपति जैसे हिंदू धर्म के किसी देवी देवता को नहीं मानूंगा और न ही उनकी पूजा करूंगा.
ईश्वर ने कभी अवतार लिया है, इस पर मेरा विश्वास नहीं.
मैं ऐसा कभी नहीं मानूंगा कि तथागत बौद्ध विष्णु के अवतार हैं. ऐसे प्रचार को मैं पागलपन और झूठा समझता हूं.
मैं कभी श्राद्ध नहीं करूंगा और न ही पिंडदान करवाऊंगा।
मैं बौध धम्म के विरुद्ध कभी कोई आचरण नहीं करूंगा.
8. मैं कोई भी क्रिया-कर्म ब्राह्मणों के हाथों से नहीं करवाऊंगा.
भीमराव अंबेडकर के पास थीं 32 डिग्रियां, 9 भाषाओं के थे जानकार
मैं इस सिद्धांत को मानूंगा कि सभी इंसान एक समान हैं.
मैं समानता की स्थापना का यत्न करूंगा.
मैं बुद्ध के आष्टांग मार्ग का पूरी तरह पालन करूंगा.
मैं बुद्ध के द्वारा बताई हुई दस परिमिताओं का पूरा पालन करूंगा.
मैं प्राणी मात्र पर दया रखूंगा और उनका लालन-पालन करूंगा.