History – नोबल पुरस्कार विजेता सीवी रमन को किसी प्रकार के परिचय की आवश्यकता नही है। उन्होंने अपने काम के बलबूते पर विज्ञान के क्षेत्र में अपना परचम लहराया। वही सीवी रमन के भतीजे सुब्रमण्यम चंद्रशेखर (Subrahmanyan Chandrasekhar) को चंद्रशेखर लिमिटेड और वैद्यालय ने खुद ख्याति दिलाई। लोग इनका नाम बड़े सम्मान के साथ लेते हैं।
वही आज सुब्रमण्यम चंद्रशेखर (Subrahmanyan Chandrasekhar) का जन्मदिन है। और आज हम आपको इनके जन्मदिन के दिन बताने जा रहे हैं कि इनका दायर सिर्फ चंद्रशेखर लिमिटेड तक सीमित नही रहा। इन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में भी अपने चाचा की तरह पैर पसारे और विज्ञान को बहुत कुछ दिया।
यह जब 18 साल के थे। तक उन्होंने अमेरिका में एक शोध किया। यह शोध इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स प्रकाशित हुआ। 1930 में उन्होंने भारतीय सरकार से विदेश जाने की अंतरराष्ट्रीय स्कॉलरशिप जीती और उसी के बलबूते पर वह
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में शोध करने के लिए चले गए।
वही इनकी रुचि सफेद बैने तारो के अध्ययन की हुई। कई सालों के शोध के बाद उन्होंने 1934 में तारे के सिकुड़ने और फिर लुप्त होने की वैज्ञानिक जिज्ञासासुलाई थी। उन्होंने कहा जो यह बौने तारे है। जब इनको निश्चित द्रव्यमान प्राप्त हो जाता है तब इनके द्रव्यमान में कोई वृद्धि नही होती है।
उन्होंने यह भी बताता कि जीन तारों का द्रव्यमान आज के सूर्य से 1.4 गुना होगा, वे अंतत सिमट कर बहुत भारी हो जाएंगे.इसी सीमा या लिमिट को चंद्रशेखर लिमिट कहा जाता है। इसके साथ ही इन्होंने सामान्य सापेक्षता, ब्लैक होल का गणितीय सिद्धांत, और टकराने वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगों का भी अध्ययन किया।