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Join NowNitish Kumar: भारतीय राजनीति में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम ने सबको झकझोर कर रख दिया है! संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन, उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) को अपना त्यागपत्र सौंपा। इस इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में, खासकर बिहार की राजनीति में, एक नई बहस छेड़ दी है। इस चर्चा को और हवा दी है सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के नाम से वायरल हो रहे एक पैरोडी पोस्ट ने, जिसमें धनखड़ के इस्तीफे को बिहार की राजनीति और एनडीए (NDA) की रणनीति से जोड़ा गया है।
तेजस्वी यादव के पैरोडी पोस्ट से बिहार में सियासी भूचाल! क्या बीजेपी चला रही ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस पोस्ट में सवाल उठाया गया है कि क्या उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) और चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा बिहार में चल रही SIR प्रक्रिया से ध्यान भटकाने की कोशिश है? क्या बीजेपी अगले उपराष्ट्रपति के रूप में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को आगे कर रही है? हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह पोस्ट तेजस्वी यादव के आधिकारिक अकाउंट से नहीं, बल्कि उनके नाम से बने एक पैरोडी अकाउंट से शेयर किया जा रहा है। इसी पोस्ट ने न केवल नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने की अटकलों को हवा दी है, बल्कि बिहार की राजनीति में भी नई बहस छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर #नीतीशकुमार ट्रेंड करने लगा है। जहाँ कुछ लोग इसे भाजपा (BJP) की एक सोची-समझी रणनीति मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे मात्र एक सियासी पैंतरा बता रहे हैं।
“स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा,” पर उठ रहे सवाल! क्या है असली वजह?
जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे पत्र में लिखा है, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं”। हालांकि, उनके इस अप्रत्याशित कदम ने कई सवाल खड़े किए हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम केवल स्वास्थ्य कारणों से परे, राजनीतिक समीकरणों (Political Equations) का हिस्सा हो सकता है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से धनखड़ को मनाने की अपील की है, जबकि राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा है कि यह अप्रत्याशित है, लेकिन इसका कारण सिर्फ स्वास्थ्य नहीं लगता। इस बीच, नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने की चर्चा को भाजपा के ‘ऑपरेशन बिहार’ (Operation Bihar) से जोड़ा जा रहा है।
नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने की चर्चा: क्या बदलेगा बिहार का सियासी समीकरण?
सूत्रों के अनुसार, भाजपा बिहार में नीतीश कुमार को ऊंचा पद देकर ओबीसी (OBC) और ईबीसी (EBC) वोट बैंक को साधने की कोशिश कर सकती है, ताकि आगामी विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में एक नया नेतृत्व सामने लाया जा सके। हालांकि, राजनीति के कई जानकार इस विचार को अव्यवहारिक मानते हैं। दरअसल, नीतीश कुमार बिहार में न केवल जदयू (JDU) के सर्वेसर्वा हैं, बल्कि एनडीए का एक महत्वपूर्ण चेहरा भी हैं। ऐसे में, जब चुनाव में सिर्फ तीन से चार महीने ही बचे हैं, उनका राष्ट्रीय स्तर पर जाना बिहार में एनडीए की राजनीतिक संभावनाओं को अनिश्चितताओं के दौर में डाल सकता है।
तेजस्वी का दांव या बीजेपी की चाल? हकीकत क्या है, वक़्त बताएगा!
इसी कड़ी में, सोशल मीडिया पर कई उपयोगकर्ताओं ने नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने की अटकलों को खारिज करते हुए इसे राजद (RJD) की सियासी चाल बताया है। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “नीतीश कहीं नहीं जा रहे, यह तेजस्वी का शोर है।” दूसरी ओर, कुछ का मानना है कि भाजपा नीतीश को ‘सम्मानजनक विदाई’ देकर बिहार में नया समीकरण बना सकती है। यह ध्यान देने योग्य है कि संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव 60 दिनों के भीतर होना है। तब तक, हरिवंश नारायण सिंह (Harivansh Narayan Singh) कार्यवाहक सभापति के रूप में कार्यभार संभालेंगे। लेकिन इन सबके बीच, नीतीश कुमार को लेकर चल रही चर्चाएं सियासी गलियारों में गूंज रही हैं। अंततः, यह भाजपा की रणनीति है या तेजस्वी का दांव, इसका जवाब आने वाले समय में ही पता चलेगा।