Wife ने मांगा 9 लाख Monthly Maintenance, पति ने पूरी Property ही दान कर दी।

Published On: July 13, 2025
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Wife ने मांगा 9 लाख Monthly Maintenance, पति ने पूरी Property ही दान कर दी।

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क्या आपकी कमाई ₹50,000 प्रति माह है? क्या आप जान जोखिम में डालकर काम करते हैं? शायद इन सवालों के जवाब आज के युवा वकील को खुद कोर्ट में देने पड़े होंगे जब एक याचिका पर सुनवाई हो रही थी। लेकिन ये मामला थोड़ा ज़्यादा गंभीर था, जब महिला याचिकाकर्ता ने अपने पति पर लगाया ये बड़ा आरोप, कहा ‘वह मल्टीबिलियनेयर है’। मामला कुछ ऐसा है कि ये शख्स हर महीने 2 लाख 91 हजार रुपये की EMI भर रहा था, जो कहीं न कहीं यह बताता है कि उनकी जो इनकम थी, वह इतनी नहीं है कि वो कर सके, तो उसका सारा पैसा ट्रांसफर होकर पिता के पास गया।

जब वकीलों ने खोली सच्चाई, उड़ाए सबके होश!

कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान, एक ऐसा राज खुला जिसने सभी को चौंका दिया। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल (प्रतिवादी) की जो सालाना आमदनी है, उसे लगभग ₹12.5 लाख प्रति वर्ष के हिसाब से मेंटेनेंस देना चाहिए, पर वे मात्र 50 हज़ार ही दे रहे हैं, यह कहते हुए कि उनकी कोई आय ही नहीं है। ये सभी उनके परिवार के भरण-पोषण और बच्चों के भरण-पोषण पर भारी पड़ेगा। उनका कहना है कि कुछ ही सालों में 2022 से, उन्होंने यह माना था की उनकी जो मंथली एक्सपेंसेस है वो 2,91,000 रुपये are quite reasonable. उन्होंने यह भी कहा कि वे अपनी雌 की बात नहीं करेंगे पर मेरी बात होगी।

9.5 लाख की हकीकत: कोर्ट में खुला बड़ा राज!

वकील ने अदालत में पेश किए गए दस्तावेजों (Documents) का हवाला देते हुए कहा कि प्रतिवादी की असली आमदनी को उन्होंने अपने पिता (Father) के नाम ट्रांसफर (Transfer) कर दी है। यह सारा खेल “बेनिफिशियरी” (Beneficiary) बनने के लिए और अदालत के नियमों से बचने के लिए किया गया था। प्रतिवादी अब एक आलीशान घर (Luxurious House) में रह रहा है, जिसकी मासिक किस्त (Monthly Installment) लगभग ₹2,91,000 है, और बच्चे की शिक्षा का भी पूरा खर्च उठाया जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ कोर्ट को कहा जा रहा है कि वो एक सामान्य नागरिक हैं और उनकी कोई कमाई नहीं है। यह स्थिति याचिकाकर्ता और बच्चों के लिए वाकई मुश्किल पैदा कर रही है।

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“मेरी तरफ से आप जाइए”- जज का सख्त फैसला, जानिए क्यों!

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद यह माना कि प्रतिवादी अपनी आय को कम बताने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। कोर्ट ने उनकी बातों से साफ इनकार कर दिया कि वे 2.91 लाख की EMI और अपने बच्चों का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। यह उनका काम है कि अपने खर्चों का सही ब्यौरा अदालत के सामने दें। इस तरह के आचरण (Conduct) के लिए उन पर法律 की कार्रवाई भी की जा सकती है।

यह मामला वाकई चौंकाने वाला है और यह दिखाता है कि कानून की नजरों से कोई भी नहीं बच सकता। अपनी आय और संपत्ति का सही ब्यौरा देना हर नागरिक का कर्तव्य है, खासकर तब जब मामले अदालत में हों।

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