Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में, विशेष रूप से वन क्षेत्रों (Forest Areas) और उसके आसपास के ग्रामीण इलाकों (Rural Areas) में रहने वाले किसानों (Farmers) के लिए जंगली जानवरों (Wild Animals) द्वारा फसलों (Crops) को नुकसान पहुंचाना और मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict) एक गंभीर समस्या रही है। तेंदुआ (Leopard), नीलगाय (Nilgai), जंगली सूअर (Wild Boar) और अन्य वन्यजीव (Wildlife) अक्सर खेतों में घुसकर खड़ी फसलों को बर्बाद कर देते हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान (Financial Loss) होता है और कई बार यह संघर्ष मानव जीवन के लिए भी खतरा बन जाता है।
इस समस्या के समाधान और मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict) को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) के नेतृत्व में वन एवं वन्यजीव विभाग (Forest and Wildlife Department) ने एक व्यापक और बहु-आयामी रणनीति (Comprehensive Strategy) लागू की है। इन प्रयासों का उद्देश्य न केवल वन्यजीवों (Wildlife) का संरक्षण (Conservation) करना है, बल्कि वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले समुदायों, उनके पालतू जानवरों (Domestic Animals) और सबसे महत्वपूर्ण, किसानों की फसलों (Farmers’ Crops) की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है।
फेंसिंग का जाल: जंगली जानवरों को रोकेगी दीवार
वन एवं वन्य जीव विभाग (Forest and Wildlife Department) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के विजन (Vision) के अनुरूप, वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation) और ग्रामीण सुरक्षा (Rural Safety) दोनों को प्राथमिकता दी है। इस दिशा में सबसे प्रभावी उपायों में से एक है वन क्षेत्रों (Forest Areas) और संवेदनशील इलाकों (Sensitive Areas) के चारों ओर बड़े पैमाने पर फेंसिंग (Fencing) का निर्माण।
वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 के दौरान इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। इन दो वर्षों में, विभाग ने लगभग 231 किलोमीटर (231 km) लंबी चेन लिंक फेंसिंग (Chainlink Fencing) और 41 किलोमीटर (41 km) लंबी सोलर फेंसिंग (Solar Fencing) का निर्माण किया है।
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वर्ष 2023-24 में: लगभग 125 किलोमीटर (125 km) चेन लिंक फेंसिंग (Chainlink Fencing) और 21 किलोमीटर (21 km) सोलर फेंसिंग (Solar Fencing) बनाई गई।
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वर्ष 2024-25 में: लगभग 106 किलोमीटर (106 km) चेन लिंक फेंसिंग (Chainlink Fencing) और 20 किलोमीटर (20 km) सोलर फेंसिंग (Solar Fencing) बनाई गई।
ये फेंसिंग (Fencing) ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) और खेतों में जंगली जानवरों (Wild Animals) के प्रवेश को रोकने में अत्यंत प्रभावी साबित हुई हैं। इससे न केवल किसानों की फसलों (Farmers’ Crops) को होने वाले नुकसान (Crop Damage) में कमी आई है, बल्कि मानव जीवन और पालतू पशुओं (Domestic Animals) को भी सुरक्षा मिली है। जंगली जानवर अब आसानी से आबादी वाले इलाकों में नहीं घुस पाते, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict) काफी हद तक कम हुआ है।
“बाघ मित्र” और सामुदायिक भागीदारी (Community Participation)
मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict) को कम करने में केवल भौतिक बाधाएं ही पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए स्थानीय समुदायों (Local Communities) की सक्रिय भागीदारी (Active Participation) और जागरूकता (Awareness) भी आवश्यक है। इस दिशा में वन और वन्यजीव विभाग (Forest and Wildlife Department) ने “बाघ मित्र” (Bagh Mitra) नामक एक अनूठी पहल शुरू की है।
“बाघ मित्र” स्थानीय ग्रामीण ही होते हैं, जिन्हें वन्यजीव विभाग द्वारा विशेष रूप से प्रशिक्षित (Trained) किया जाता है। ये “बाघ मित्र” अपने गाँवों में स्थानीय लोगों को वन्यजीवों (Wildlife) के व्यवहार, उनसे बचाव के तरीके और सुरक्षित सह-अस्तित्व (Safe Co-existence) के महत्व के बारे में जागरूक करते हैं। वे ग्रामीणों के साथ नियमित बैठकें (Regular Meetings) करते हैं, उनकी चिंताओं को सुनते हैं और वन्यजीवों से जुड़ी किसी भी आपातकालीन स्थिति (Emergency Situation) में वन विभाग को त्वरित जानकारी (Quick Information) प्रदान करते हैं।
विशेष रूप से, “बाघ मित्र” का चयन टाइगर रिजर्व (Tiger Reserves) के आसपास के गाँवों (Villages around Tiger Reserves) और इटावा के लायन सफारी (Etawah Lion Safari) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों (Sensitive Areas) के लिए किया गया है। यह पहल स्थानीय समुदायों और वन्यजीव विभाग (Wildlife Department) के बीच विश्वास (Trust) और बेहतर तालमेल (Better Coordination) बनाने में मदद करती है, जो संघर्ष को कम करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
आधुनिक तकनीक का उपयोग: निगरानी और पेट्रोलिंग (Monitoring and Patrolling)
वन और वन्य जीव विभाग (Forest and Wildlife Department) मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict) को नियंत्रित करने और वन्यजीवों (Wildlife) की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए आधुनिक तकनीक (Modern Technology) का भी प्रभावी ढंग से उपयोग कर रहा है। राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि (State Disaster Mitigation Fund) से प्राप्त धनराशि का उपयोग निगरानी उपकरण (Surveillance Equipment) खरीदने में किया गया है।
इन उपकरणों में शामिल हैं:
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ट्रैकिंग डिवाइस (Tracking Devices): वन्यजीवों, विशेष रूप से बड़े और खतरनाक जानवरों की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए।
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ड्रोन कैमरे (Drone Cameras): वन क्षेत्रों और सीमावर्ती इलाकों की हवाई निगरानी (Aerial Surveillance) के लिए।
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जीपीएस ट्रैकिंग (GPS Tracking): जानवरों की लोकेशन और मूवमेंट पैटर्न (Movement Patterns) की सटीक जानकारी के लिए।
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कैमरा ट्रैप (Camera Traps): वन्यजीवों की उपस्थिति और संख्या का अनुमान लगाने के लिए।
इन तकनीकों का उपयोग करके वन क्षेत्रों (Forest Areas) और मानव बस्तियों (Human Settlements) से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों (Border Areas) में सघन गश्त (Intensive Patrolling) की जा रही है। यह विभाग को वन्यजीवों (Wildlife) के मानव बस्तियों में प्रवेश करने से पहले ही उनका पता लगाने और उन्हें जंगल की ओर वापस खदेड़ने में मदद करता है।
किसानों और वन्यजीवों दोनों के लिए सुरक्षा
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में वन एवं वन्य जीव विभाग (Forest and Wildlife Department) द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के मार्गदर्शन में किए गए ये प्रयास बहुआयामी और प्रभावी हैं। चेन लिंक फेंसिंग (Chainlink Fencing) और सोलर फेंसिंग (Solar Fencing) जैसी भौतिक बाधाएं किसानों की फसलों (Farmers’ Crops) और ग्रामीण जीवन (Rural Life) की सुरक्षा में सीधे तौर पर सहायक हैं। वहीं, “बाघ मित्र” (Bagh Mitra) जैसी सामुदायिक पहल (Community Initiative) स्थानीय लोगों को सशक्त बनाती है और संघर्ष को कम करने के लिए जागरूकता पैदा करती है। इसके अलावा, आधुनिक तकनीक (Modern Technology) का उपयोग निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया (Quick Response) के लिए महत्वपूर्ण है।
इन सभी प्रयासों से उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict) को काफी हद तक कम करने में मदद मिल रही है। यह न केवल किसानों (Farmers) को उनके श्रम और फसलों (Crops) की सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे उनकी आजीविका (Livelihood) सुरक्षित होती है, बल्कि यह वन्यजीवों (Wildlife) को भी मानव हस्तक्षेप (Human Interference) से बचाकर जैव-विविधता (Biodiversity) के संरक्षण (Conservation) में योगदान देता है। यह योगी सरकार (Yogi Sarkar) का किसानों (Farmers) और पर्यावरण (Environment) दोनों की दिशा में उठाया गया एक सकारात्मक कदम है।