Tenant Landlord Dispute : किराएदारों के लिए बड़ी खबर! हाईकोर्ट का फैसला – अब मकान मालिक बिना खास वजह बताए भी खाली करा सकता है घर? जानें पूरा मामला

Published On: April 19, 2025
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Tenant Landlord Dispute : अगर आप किराए के मकान में रहते हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद ज़रूरी है और शायद थोड़ी चिंताजनक भी। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो मकान मालिकों के अधिकारों को काफी मजबूत करता है और किराएदारों के लिए नियमों को थोड़ा सख्त बना सकता है।

कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर मकान मालिक कहता है कि उसे अपनी प्रॉपर्टी की ‘वास्तविक आवश्यकता’ (Bonafide Need) है, तो किराएदार आसानी से उस पर सवाल नहीं उठा सकता। आइए, इस फैसले को थोड़ा और गहराई से समझते हैं।

क्या कहा हाईकोर्ट ने?

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने एक अहम फैसले में कहा:

  1. मकान मालिक की ज़रूरत ही काफी: अगर मकान मालिक यह कहता है कि उसे अपनी संपत्ति (दुकान, मकान आदि) की ज़रूरत है (चाहे वो खुद के इस्तेमाल के लिए हो, परिवार के किसी सदस्य के लिए हो, या किसी और वास्तविक कारण से), तो उसकी इस ज़रूरत को आमतौर पर सच माना जाना चाहिए।

  2. किराएदार तय नहीं करेगा ज़रूरत: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किराएदार यह तय करने की स्थिति में नहीं है कि मकान मालिक की ज़रूरत कितनी बड़ी है, कितनी ज़रूरी है, या क्या मकान मालिक उसके बिना काम चला सकता है या नहीं।

  3. खास वजह बताना ज़रूरी नहीं: सबसे महत्वपूर्ण बात, कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक को किराएदार से प्रॉपर्टी खाली कराने के लिए कोई बहुत विस्तृत या विशेष कारण बताने की बाध्यता नहीं है। सिर्फ अपनी वास्तविक आवश्यकता बताना ही पर्याप्त हो सकता है।

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किस मामले में आया यह फैसला?

यह फैसला लुधियाना के दो किरायेदारों, सतीश कुमार और कोमल, द्वारा दायर याचिका पर आया। मामला कुछ यूं था:

  • 1995 से पहले, इन किरायेदारों को ₹700 प्रति माह पर दो दुकानें किराए पर दी गई थीं।

  • आरोप है कि 2010 के बाद किराया नहीं दिया गया।

  • मकान मालकिन (जो अब बुजुर्ग हो चुकी हैं) ने अपनी ज़रूरत बताते हुए दुकानें खाली करने को कहा, लेकिन किराएदारों ने खाली नहीं किया।

  • किराएदारों ने कोर्ट में तर्क दिया कि मकान मालकिन बुजुर्ग हैं और एक संपन्न परिवार से हैं, इसलिए उन्हें दुकान की ज़रूरत नहीं है और वे व्यवसाय नहीं कर सकतीं।

कोर्ट ने किराएदारों की दलील क्यों खारिज की?

हाईकोर्ट ने किराएदारों के इन तर्कों को मानने से इनकार कर दिया:

  • कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि मकान मालकिन बुजुर्ग हो गई हैं, यह नहीं माना जा सकता कि वह व्यवसाय नहीं कर सकतीं या उन्हें दुकान की ज़रूरत नहीं है।

  • कोर्ट ने यह भी खारिज कर दिया कि मकान मालिक के संपन्न होने का मतलब यह नहीं है कि वह अपनी संपत्ति अपनी ज़रूरत के लिए वापस नहीं मांग सकता।

इस फैसले का क्या मतलब है?

इस फैसले का सीधा मतलब है कि:

  • मकान मालिकों के लिए राहत: अब उनके लिए अपनी संपत्ति ज़रूरत पड़ने पर वापस पाना थोड़ा आसान हो सकता है। उन्हें कोर्ट में अपनी ज़रूरत को साबित करने के लिए बहुत ज़्यादा जटिल तर्क या सबूत देने की ज़रूरत शायद न पड़े।

  • किराएदारों के लिए चिंता: किराएदारों के लिए मकान मालिक की बताई ‘ज़रूरत’ को चुनौती देना अब और मुश्किल हो सकता है। अगर मकान मालिक कहता है कि उसे प्रॉपर्टी चाहिए, तो किराएदार को उसे खाली करना पड़ सकता है, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि मकान मालिक की ज़रूरत पूरी तरह से झूठी या दुर्भावनापूर्ण है।

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यह फैसला किराएदार और मकान मालिक के बीच के संबंधों और अधिकारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। अगर आप किराए पर रहते हैं, तो अपने रेंट एग्रीमेंट और स्थानीय किराया कानूनों के बारे में जानकारी रखना हमेशा फायदेमंद होता है।

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