Daughter’s Property Rights After Marriage: बेटी के प्रॉपर्टी राइट्स शादी के बाद कितना हक?

Published On: June 29, 2025
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Daughter's Property Rights After Marriage: बेटी के प्रॉपर्टी राइट्स शादी के बाद कितना हक?

बेटी का पैतृक संपत्ति पर हक: शादी के बाद भी मिलेगा पूरा हक़! जानें सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला!


क्या शादी के बाद बेटी का अपनी पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) पर अधिकार बना रहता है? यह एक ऐसा सवाल है जो आज भी कई भारतीय परिवारों के मन में कौंधता है, खासकर जब संपत्ति के मालिकाना हक (Property Ownership Rights) की बात आती है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण और स्पष्ट निर्णय (Landmark Supreme Court Decision) सुनाया है, जिसने दशकों से चली आ रही कई भ्रांतियों को दूर कर दिया है। यह कानूनी फैसला (Legal Ruling) न केवल बेटी के प्रॉपर्टी राइट्स (Daughter’s Property Rights) को लेकर मौजूदा कानूनों को और मजबूत करता है, बल्कि समाज में महिलाओं के संपत्ति अधिकारों (Women’s Property Rights) की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह फैसला भारतीय कानून (Indian Law) में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) के प्रावधानों को कैसे प्रभावित करता है, खासकर उन प्रावधानों को जो पिता की स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property) और पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) से संबंधित हैं।

यह जानने योग्य है कि भारत में संपत्ति कानून काफी जटिल हैं और विभिन्न समुदायों और धार्मिक ग्रंथों (Religious Texts) पर आधारित हैं, जिनमें से हिंदू कानून प्रमुख है। हालांकि, 1956 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act, 1956) लागू होने के बाद, बेटियों को पैतृक संपत्ति में सहदायिक (Coparceners) के रूप में समान अधिकार मिले, यह व्यवस्था समय के साथ बदलती रही है। सुप्रीम कोर्ट के नवीनतम फैसलों (Latest Supreme Court Judgements) ने इस अधिकार को और अधिक स्पष्ट किया है। यह महिला संपत्ति अधिकार (Property Rights for Women) को लेकर एक बड़ा डेवलपमेंट है।

हालिया सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या कहता है? (What the Recent SC Verdict Says?)

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया है कि शादी के बाद बेटी (Married Daughter) का अपने पिता की पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) पर अधिकार बना रहता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेटी की शादी हो जाने का मतलब यह नहीं है कि वह अपने पिता की पैतृक संपत्ति में सहदायिक के तौर पर मिले अपने अधिकारों (Her Rights as Coparcener) को खो देती है। बेटी, जन्म से ही हिन्दू अविभाजित परिवार (Hindu Undivided Family – HUF) की सहदायिक होती है, और उसके ये अधिकार उससे छीने नहीं जा सकते, चाहे उसकी शादी हुई हो या नहीं। पैतृक संपत्ति (Ancestral Property Laws) पर बेटी का हक जन्म से ही माना जाता है, न कि केवल अविवाहित रहने तक।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बेटी शादी के बाद अपने पिता की पैतृक संपत्ति की सहदायिक बनी रहती है (Remains Coparcener)। सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में पारित कानून के पूर्वव्यापी प्रभाव (Retrospective Effect) पर भी स्पष्टीकरण (Clarification) देते हुए कहा कि यह कानून पिता की पूर्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property) पर लागू नहीं होता है, अगर पिता ने ऐसी संपत्ति अपने जीवनकाल में किसी और को हस्तांतरित कर दी हो। हालांकि, यदि पिता की मृत्यु (Father’s Death) से पहले बेटी ने अपने सहदायिक के तौर पर अधिकारों (Coparcener Rights) का दावा किया हो, तो पैतृक संपत्ति पर उसका हक पक्का है। यह भारतीय कानून (Indian Property Law) का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 (Hindu Succession (Amendment) Act, 2005):
यह कानून बेटी को पिता की पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सेदार (Daughter Equal Shareholder in Ancestral Property) बनाता है। यह संशोधन बेटी को जन्म से सहदायिक (Coparcener by Birth) का दर्जा देता है, जिसका मतलब है कि उसे वही अधिकार प्राप्त हैं जो एक बेटे को मिलते हैं। शादी के बाद बेटी का मायके में घर (Daughter’s Right to Residence) होता है और पैतृक संपत्ति में सहदायिक हिस्सेदारी (Coparcenary Interest in Ancestral Property) भी बनी रहती है। यह महिलाओं के संपत्ति अधिकार (Property Rights of Women) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।

अदालती फैसलों का महत्व (Significance of Court Judgements):
यह समझना महत्वपूर्ण है कि कई अदालती फैसलों (Judicial Pronouncements) ने बेटियों के पैतृक संपत्ति अधिकारों (Daughter’s Property Rights in Ancestral Property) को समय के साथ और अधिक स्पष्ट और मजबूत किया है। ये फैसले पितृसत्तात्मक व्यवस्था (Patriarchal System) में महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता (Financial Independence) और सामाजिक समानता (Social Equality) दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुए हैं।

बेटी के अधिकार क्या हैं? (What are a Daughter’s Rights?)

  1. पैतृक संपत्ति पर जन्मसिद्ध अधिकार (Right by Birth in Ancestral Property): बेटी को पिता की पैतृक संपत्ति में जन्म से ही अधिकार मिलता है, यानी वह संपत्ति जो दादा से पिता को, और पिता से बच्चे को विरासत में मिलती है, बशर्ते वह संपत्ति में विभाजन (Partition of Property) के समय तक अविभाजित रही हो।
  2. शादी के बाद भी अधिकार बने रहते हैं (Rights Remain After Marriage): सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले (Recent SC Ruling) के अनुसार, बेटी का पैतृक संपत्ति में सहदायिक के तौर पर अधिकार (Right as Coparcener) शादी के बाद भी बना रहता है। उसकी शादी या मायके का घर (Family Home) इन अधिकारों को समाप्त नहीं करता (Does Not Terminate Rights) है।
  3. पिता की स्व-अर्जित संपत्ति (Father’s Self-Acquired Property): पिता अपनी स्व-अर्जित संपत्ति का वसीयत (Will) करके किसी को भी दे सकते हैं, जिसमें बेटी का हिस्सा वसीयत के अनुसार (As per Will) तय होगा। पैतृक संपत्ति के मामले में ऐसा नहीं है, क्योंकि वहां कानूनी वारिसों (Legal Heirs) का अधिकार पहले होता है।
  4. वित्तीय निर्णय लेने की स्वतंत्रता (Freedom of Financial Decision Making): यह कानून बेटियों को अपनी वित्तीय स्वतंत्रता (Financial Independence) और आर्थिक सशक्तिकरण (Economic Empowerment) की दिशा में बढ़ावा देता है।

आपको यह जानकारी क्यों होनी चाहिए? (Why Should You Know This?)
संपत्ति अधिकारों (Property Rights) की यह जानकारी सभी भारतीय नागरिकों (Indian Citizens) के लिए, विशेषकर बेटियों और उनके पिता के लिए महत्वपूर्ण है। इससे आप कानूनी प्रक्रियाओं (Legal Procedures) को समझ सकते हैं और किसी भी विवाद (Disputes) की स्थिति में अपने अधिकारों का प्रभावी ढंग से दावा कर सकते हैं (Claim Your Rights)। संपत्ति विभाजन (Property Partition) या उत्तराधिकार (Inheritance) के मामलों में यह ज्ञान आपके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) से जुड़े विवादों को हल करने में यह न्यायिक स्पष्टता (Judicial Clarity) सहायक होगी।

अगर आपका भी सवाल है कि शादी के बाद बेटी का पिता की संपत्ति पर क्या हक होता है? तो यह फैसला आपको बताता है कि बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार प्राप्त हैं और उनका यह हक उनकी शादी से प्रभावित नहीं होता है।

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