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Join NowAgricultural University: हैदराबाद (Hyderabad) के प्रतिष्ठित राजेंद्रनगर (Rajendranagar) स्थित कृषि विश्वविद्यालय (Agricultural University) में कल रात एक ऐसी घटना हुई जिसने पर्यावरण प्रेमियों (environmentalists) और छात्रों को गुस्से से भर दिया है। तेलंगाना सरकार (Telangana Government) ने देर रात, जेसीबी मशीनों (JCB machines) का इस्तेमाल करते हुए, विश्वविद्यालय के खूबसूरत बॉटेनिकल गार्डन (Botanical Garden) में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई शुरू करवा दी। इस कदम से नाराज, सैकड़ों छात्र पेड़ों को बचाने (Save Trees) के लिए सड़कों पर उतर आए और सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया। छात्रों ने ”, यानी ‘पेड़ों की रक्षा करने से हमारी रक्षा होती है,’ जैसे नारों के साथ सरकार से सीधा सवाल किया कि हरे-भरे पेड़ों को क्यों काटा जा रहा है और इस विनाश के पीछे की वजह क्या है। यह घटना पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण (environment protection) को लेकर चल रही चिंताओं को और बढ़ाती है।
छात्रों का आरोप है कि सरकार ने पहले हाईकोर्ट के निर्माण के लिए लगभग 100 एकड़ ज़मीन ली थी और अब वे “वन महोत्सव” (Van Mahotsav) के नाम पर एक और 20 एकड़ ज़मीन को समतल (land leveling) करने के लिए पेड़ों को बर्बरता से काट रहे हैं। देर रात को जैसे ही पेड़ों की कटाई शुरू हुई, मौके पर भारी पुलिस बल (police force) तैनात कर दिया गया। पुलिस ने छात्रों को तितर-बितर करने की कोशिश की और छात्रावास के पास कड़ा पहरा लगा दिया, जिससे छात्रों को उनके कमरों से बाहर निकलने से भी रोका गया। छात्रों ने पुलिस के इस व्यवहार को “दमनकारी” (oppressive) बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की। विश्वविद्यालय के एक छात्र, रमेश (Ramesh), ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “पुलिस हमें डराने की कोशिश कर रही है। हम सिर्फ अपने मूल्यवान पर्यावरण को बचाना चाहते हैं।” इस घटना ने प्रशासन और युवा पीढ़ी के बीच बढ़ते तनाव को और गहरा कर दिया है।
विश्वविद्यालय और सरकार की ओर से क्या कहा गया?
विश्वविद्यालय की तरफ से डॉ. अनिल कुमार (Dr. Anil Kumar) जैसे प्रोफेसरों ने इस पर चिंता जताई है। एक प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार ने कहा, “ये पेड़ हमारे परिसर की जान और शान (pride of our campus) हैं। इन्हें काटना पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा नुकसान (huge loss to environment) है। सरकार को इस तरह का कदम उठाने से पहले छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन से बातचीत करनी चाहिए थी।” यह स्पष्ट करता है कि शैक्षणिक संस्थान के भीतर भी इस फैसले को लेकर मतभेद हैं।
दूसरी ओर, सरकार के एक अधिकारी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपने कृत्य का बचाव किया है। उन्होंने कहा, “यह कटाई एक सुनियोजित विकास (planned development) का हिस्सा है। हम नए पेड़ लगाकर (compensatory plantation) हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” यह आश्वासन भले ही राहत भरा लगे, लेकिन छात्रों का आक्रोश इससे शांत नहीं हुआ है, क्योंकि वे मानते हैं कि प्राकृतिक हरियाली का कोई विकल्प नहीं है।
मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का बहिष्कार करने का ऐलान!
छात्रों ने ऐलान किया है कि वे कल होने वाले मुख्यमंत्री के कार्यक्रम (Chief Minister’s program) का जोरदार विरोध (protest) करेंगे। उनका साफ कहना है कि “वन महोत्सव” के नाम पर इस तरह हरे-भरे पेड़ों का कटना वास्तव में पर्यावरण के साथ किया गया धोखा है। यह घटना हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) में हुए पिछले विरोध प्रदर्शनों की याद दिलाती है, जहां छात्रों ने भी प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी। मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति (tense situation) को देखते हुए, सभी की निगाहें सरकार के अगले कदम और छात्रों के विरोध की रणनीति पर टिकी हैं। यह पूरा मामला हाइड्रोपोनिक्स की खेती जैसे टिकाऊ कृषि समाधानों पर चल रही चर्चाओं के बीच पर्यावरण को प्राथमिकता देने के सरकारी वादों पर भी सवाल खड़े करता है।
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