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मनमोहन सिंह और मनरेगा: एक सफलता की कहानी

क्या आप जानते हैं कि भारत की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना, मनरेगा, एक ऐसे व्यक्ति के दिमाग की उपज है जिसने कभी इसके लिए श्रेय नहीं लिया? हम बात कर रहे हैं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह जी की, जिनके नेतृत्व और दूरदर्शिता ने लाखों ग्रामीण परिवारों को गरीबी से उबारने में मदद की। इस लेख में हम मनरेगा की सफलता, इसके पीछे डॉ. सिंह की भूमिका और कांग्रेस की राजनीतिक चालों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

मनरेगा: एक क्रांति का आगाज़

मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 में लागू हुआ था। इस योजना का मूल उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना था। इसके ज़रिये न सिर्फ़ रोज़गार मिला बल्कि ग्रामीण विकास को भी एक नया आयाम मिला. शुरुआती दौर में एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ जिलों में शुरू की गई मनरेगा ने पूरे देश में बड़ी सफलता हासिल की. आज भारत में सबसे बड़े रोजगार कार्यक्रम में मनरेगा के ज़रिये लाखों लोगों को रोज़गार प्राप्त हुआ. लाखों परिवारों का जीवन स्तर बदला गया, और आत्मनिर्भरता कायम हुई।

डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान

मनरेगा को देशव्यापी सफलता दिलाने में डॉ. मनमोहन सिंह का अहम योगदान था। तत्कालीन कृषि मंत्री, रघुवंश प्रसाद सिंह के साथ मिलकर, उन्होंने इस योजना को ठोस रूप देने में अथक प्रयास किया। हालांकि, कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा योजना का श्रेय खुद लेने की कोशिश की गई, लेकिन डॉ. सिंह हमेशा इससे अलग रहे और अपना काम करते रहे। यह कहानी डॉ. मनमोहन सिंह की अदम्य सादगी, और राष्ट्र के प्रति समर्पण को दर्शाती है।

कांग्रेस का राजनीतिक खेल

कांग्रेस ने मनरेगा की सफलता का श्रेय हड़पने की कोशिश की, जिससे डॉ. मनमोहन सिंह को काफी निराशा हुई. पार्टी के कुछ नेताओं ने प्रधानमंत्री को ज़ोर देकर कहा की इस योजना को अपने नाम करना ज़रूरी है। यहां तक की डॉ मनमोहन सिंह के जन्मदिन पर एक ज्ञापन भी प्रधानमंत्री को सौंपा गया जिसमे मांग थी कि राहुल गांधी को योजना का श्रेय दिया जाए। यहाँ तक कि डॉ मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने पार्टी के कई नेताओं को रोकने की कोशिस की पर उनकी कोशिस विफल रहीं. संजय बारू ने खुद अपनी पुस्तक 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' में इस घटना का ज़िक्र किया है।

सफलता के बावजूद अज्ञात हीरो

कांग्रेस पार्टी के इस राजनीतिक खेल के बावजूद, मनरेगा एक बेहद सफल योजना साबित हुई है. आज यह योजना देश के लाखों गरीबों के जीवन में बदलाव ला रही है। पर अफ़सोस की बात यह है की योजना के वास्तविक नायक को ज़्यादा पहचान नहीं मिली. डॉ. मनमोहन सिंह की सादगी और राष्ट्रसेवा के प्रति उनकी समर्पण की भावना एक उदाहरण है।

Take Away Points

  • मनरेगा भारत की सबसे सफल रोज़गार गारंटी योजनाओं में से एक है।
  • डॉ. मनमोहन सिंह और रघुवंश प्रसाद सिंह का इस योजना में अहम योगदान रहा।
  • कांग्रेस ने मनरेगा का श्रेय हड़पने की कोशिश की, जिससे डॉ. सिंह को निराशा हुई।
  • मनरेगा एक ऐसी सफलता है जिसके असली नायकों को ज़्यादा पहचान नहीं मिली।