भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि का आमंत्रण: एक गौरवशाली परंपरा
क्या आप जानते हैं कि भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में हर साल एक खास मेहमान होता है? जी हाँ, यह कोई आम मेहमान नहीं, बल्कि दुनिया के किसी देश का राष्ट्राध्यक्ष या अन्य उच्च पदस्थ व्यक्ति होता है। यह परंपरा 1950 से चली आ रही है और इसका भारत की विदेश नीति में बहुत महत्व है। इस लेख में, हम जानेंगे कि अब तक किन देशों के नेताओं को गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि का सम्मान मिला है, किस देश को सबसे ज्यादा मौके मिले, और मुख्य अतिथि चुनने की प्रक्रिया क्या है।
गणतंत्र दिवस में सबसे ज्यादा मुख्य अतिथि कौन?
यह जानकर आपको हैरानी होगी कि अब तक फ्रांस के राष्ट्राध्यक्षों को सबसे ज्यादा बार भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है! 1976, 1980, 1998, 2008, 2016 और 2024, कुल छह बार! इससे भारत और फ्रांस के बीच गहरे द्विपक्षीय रिश्तों का पता चलता है, खासकर रक्षा, परमाणु ऊर्जा, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई, और तकनीकी सहयोग के क्षेत्रों में। दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं, जिसमें रक्षा सौदे, मिसाइल तकनीक, और अंतरिक्ष कार्यक्रम शामिल हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति की उपस्थिति इस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करती है।
अन्य देशों की भागीदारी
हालांकि फ्रांस सबसे आगे है, कई अन्य देशों के नेताओं ने भी भारत के गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की है। इनमें पाकिस्तान, अमेरिका, रूस, जापान जैसे प्रमुख देश शामिल हैं। 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के आगमन से भारत और अमेरिका के संबंधों को नई ऊंचाई मिली थी। पाकिस्तान को भी 1955 और 1965 में यह सम्मान प्राप्त हुआ था।
पाकिस्तान: दो बार मुख्य अतिथि का सम्मान
भारत और पाकिस्तान के जटिल संबंधों के बावजूद, पाकिस्तान के नेताओं को दो बार गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। 1955 में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद और 1965 में कृषि मंत्री राना अब्दुल हामिद भारत के मेहमान बने थे। दिलचस्प बात है कि 1965 में हुए इस सम्मान के बाद ही 6 महीने में भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया था।
मुख्य अतिथि का चयन: क्या है प्रक्रिया?
गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि को चुनने की प्रक्रिया बिलकुल साधारण नहीं है। यह एक सोची-समझी रणनीति है जो कई कारकों पर निर्भर करती है:
राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध:
यह सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। अच्छे द्विपक्षीय रिश्ते होने पर ही उस देश के राष्ट्राध्यक्ष को आमंत्रित किया जाता है। इससे दोनों देशों के बीच के सहयोग को बढ़ावा मिलता है और एक सकारात्मक संदेश भी जाता है।
आर्थिक और रक्षा सहयोग:
आर्थिक और रक्षा क्षेत्रों में सहयोग भी अहम भूमिका निभाता है। भारत उस देश के साथ व्यापारिक या रक्षा समझौते में दिलचस्पी रखता है जिसके नेता को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करना चाहता है।
वैश्विक संदर्भ:
अंतरराष्ट्रीय राजनीति का भी असर इस चुनाव पर होता है। भारत अपने रणनीतिक साझेदारों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने के लिए उन्हें आमंत्रित कर सकता है, जैसा कि 2015 में अमेरिका के साथ हुआ था।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध:
कभी-कभी भारत उन देशों को भी मुख्य अतिथि बनाता है जिनके साथ उसके अच्छे सांस्कृतिक या ऐतिहासिक संबंध हैं।
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि का प्रभाव
गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि का आगमन भारत की कूटनीति का एक अहम हिस्सा है। इससे न केवल द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलता है, बल्कि भारत को एक प्रमुख विश्व शक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद मिलती है। इससे द्विपक्षीय वार्ता, व्यापारिक समझौते और रक्षा सहयोग में तेजी आती है। यह उन देशों के साथ भारत के संबंधों को बेहतर बनाने का अवसर है जहां भारत की रणनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताएं हैं।
Take Away Points
- गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि चुनाव भारत की विदेश नीति को दर्शाता है।
- फ्रांस के नेताओं को अब तक सबसे ज्यादा बार आमंत्रित किया गया है।
- इसका चुनाव कई कारकों जैसे राजनीतिक, आर्थिक, और रणनीतिक संबंधों पर निर्भर करता है।
- इस परंपरा से द्विपक्षीय संबंध मजबूत होते हैं और वैश्विक सहयोग बढ़ता है।