डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से पूरा देश शोक में डूबा हुआ है, और उनके अंतिम संस्कार को लेकर विवाद छिड़ गया है। पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार को लेकर राजनीतिक गलियारों में गरमागरम बहस छिड़ी हुई है, क्या आपको भी यह विवाद समझ नहीं आ रहा है? आइए जानते हैं पूरा मामला!
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर विवाद
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 28 दिसंबर, 2023 को निधन हो गया और उनका अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया गया। यह निर्णय विवादों में घिर गया क्योंकि पहले सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार राजघाट पर किया जाता था, जो कि एक सम्मानित स्थान है। इस निर्णय को लेकर कई राजनीतिक दल भाजपा सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
विवाद की जड़
इस विवाद की जड़ यह है कि राजघाट एक सरकारी समाधि स्थल है जहाँ पूर्व प्रधानमंत्रियों के अंतिम संस्कारों और समाधियों की व्यवस्था की जाती है। इससे आम लोगों को श्रद्धांजलि देने और उनके अंतिम दर्शन करने का अवसर मिलता है। डॉ मनमोहन सिंह को भी यह सम्मान मिलना चाहिए था लेकिन निगम बोध घाट का इस्तेमाल करने से बहुत से लोगों ने सरकार की आलोचना की है।
राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल ने जताई नाराजगी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने इस निर्णय पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। उनका मानना है कि पूर्व प्रधानमंत्री को मिलने वाले सम्मान में कमी आई है। राहुल गांधी ने इसे 'सरासर अपमान' बताया है और अरविंद केजरीवाल ने सरकार की इस व्यवहार पर निराशा जाहिर की है। उन्होंने पूछा है की 10 साल देश के प्रधानमंत्री रहने वाले व्यक्ति को 1000 गज़ ज़मीन भी नहीं दी जा सकी?
क्या था राजनीतिक पक्ष का तर्क?
राजनीतिक दलों ने अपने बयानों में यह भी बताया है कि इस निर्णय से डॉ मनमोहन सिंह का सिर्फ़ अपमान ही नहीं हुआ है, बल्कि सिख समुदाय के प्रति सम्मानहीनता भी दर्शाई गयी है क्योंकि वह सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री थे।
अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं
कई विपक्षी नेता और राजनीतिक विशेषज्ञों ने भी डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर सवाल खड़े किये हैं, और यह कह रहे हैं की देश को अपने ऐसे नेता को हर सम्मान देना चाहिए था जो की देश की अर्थव्यवस्था को ऊंचाइयों पर ले जा चुके थे। भाजपा ने अभी तक इस पूरे मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
मीडिया की भूमिका
मीडिया भी इस घटना को बहुत ज़्यादा प्रचारित कर रहा है और पूरे देश के समाचार पत्रों और चैनलों पर यही चर्चा सुनाई दे रही है। इस प्रकार यह घटना देश भर में कई बहसों को जन्म दे रही है।
अंत्येष्टि में शामिल गणमान्य व्यक्ति
डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री और कई विदेशी मेहमान भी शामिल हुए। उनकी बड़ी बेटी उपिंदर सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। इसने पूरे कार्यक्रम में शोक और आदर का माहौल बना दिया।
क्या देश इस बहस से आगे बढ़ सकता है?
यह विवाद देश के राजनीतिक भविष्य के लिए क्या संदेश दे रहा है? क्या हम आगे बढ़कर राष्ट्रीय एकता को बनाये रख सकते हैं ? इस बारे में समाज के हर वर्ग को विचार करने की ज़रूरत है।
टेक अवे पॉइंट्स
- डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद छिड़ गया है।
- विवाद का केंद्र बिंदु यह है कि उनका अंतिम संस्कार राजघाट पर क्यों नहीं किया गया।
- कई विपक्षी नेताओं ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है।
- यह घटना भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।
- समाज को राष्ट्रीय एकता के साथ मिलकर काम करने और आगे बढ़ने की जरूरत है।