1966 का गणतंत्र दिवस: शोक और स्मृति का अनोखा संगम
क्या आप जानते हैं कि भारत के इतिहास में एक ऐसा गणतंत्र दिवस भी था, जो गमगीन माहौल में मनाया गया था? जी हाँ, साल 1966 का गणतंत्र दिवस भारत के लिए बेहद भावुक पल था क्योंकि उससे ठीक 15 दिन पहले देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आकस्मिक निधन हो गया था। इस घटना ने पूरे देश में शोक की लहर दौड़ा दी और गणतंत्र दिवस की तैयारियों को भी प्रभावित किया। यह लेख आपको इस ऐतिहासिक घटना के बारे में विस्तार से जानकारी देगा, जिसमें शोक से लेकर नए प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी के उभार तक का सफ़र शामिल है।
लाल बहादुर शास्त्री का असामयिक निधन
11 जनवरी 1966 को, ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया। उनके निधन ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह खबर देश के लिए एक बहुत बड़ा झटका थी, जिसने लोगों को गहरा सदमा पहुँचाया। इस घटना ने गणतंत्र दिवस के उत्सवों की योजनाओं को बदलने पर मजबूर कर दिया।
इंदिरा गांधी का प्रधानमंत्री पद संभालना
शास्त्री जी के निधन के बाद, राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, इंदिरा गांधी को 24 जनवरी 1966 को, गणतंत्र दिवस से ठीक दो दिन पहले, भारत का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। यह एक ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थिति थी जिसमें उन्हें न सिर्फ राजनीतिक संकट से निपटना था, बल्कि आगामी गणतंत्र दिवस समारोह को भी संभालना था।
1966 के गणतंत्र दिवस में बदलाव
देश शोक में डूबा हुआ था। ऐसी परिस्थिति में गणतंत्र दिवस उत्सव सामान्य नहीं हो सके। सरकार ने कार्यक्रमों को संशोधित किया और इसमें काफी सरलीकरण किया गया। इस साल गणतंत्र दिवस के उत्सव में किसी भी विदेशी मेहमान को आमंत्रित नहीं किया गया। यह तय किया गया कि गणतंत्र दिवस सम्मान के साथ मनाया जाएगा, पर गमगीन और विनम्र भावना के साथ। राष्ट्रपति ने अपने भाषण में लाल बहादुर शास्त्री को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इंदिरा गांधी की भावनात्मक भूमिका
प्रधानमंत्री बनने के महज़ दो दिन बाद, इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी की गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होकर जनता में नया उत्साह भरने की कोशिश की। उन्होंने नागालैंड की झांकी में लोक कलाकारों के साथ नृत्य भी किया, जिसने लोगों में नई उम्मीद जगाई। यह एक ऐसी मुद्रा थी जो उस कठिन समय में समर्थन और एकता का भाव दिखाती थी।
Take Away Points
- 1966 का गणतंत्र दिवस भारत के इतिहास में एक भावुक और महत्वपूर्ण क्षण था जो देश के प्रतिष्ठित नेता लाल बहादुर शास्त्री जी के निधन की त्रासदी की छाया में मनाया गया।
- इस वर्ष, सरकारी कार्यक्रमों को सरलीकृत कर दिया गया था और किसी विदेशी अतिथि को नहीं बुलाया गया।
- इंदिरा गांधी ने इस दुखद अवसर पर जनता के साथ एकजुटता दिखाते हुए, गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया और एक भावनात्मक स्पर्श प्रदान किया।
- यह घटना, देश के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में याद आता है जब राष्ट्र एक साथ गम और जश्न में एक हुआ।