wife property rights : क्या पति की दूसरी पत्नी को भी मिलता है संपत्ति में हिस्सा? जानिए कानून क्या कहता है और कब मिलता है अधिकार

wife property rights : क्या पति की दूसरी पत्नी को भी मिलता है संपत्ति में हिस्सा? जानिए कानून क्या कहता है और कब मिलता है अधिकार

wife property rights : पति की संपत्ति पर पत्नी के अधिकार का मामला अक्सर अदालतों में सुनवाई का विषय बनता रहता है। लेकिन, क्या हो जब पति ने एक से ज़्यादा शादियां की हों? ऐसे में, क्या पति की दूसरी पत्नी का भी उसकी संपत्ति पर कोई अधिकार (Property Rights of Second Wife) होता है? और अगर होता है, तो कितना? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब बहुत कम लोग जानते हैं।

अधिकांश लोगों को तो अपने पति की संपत्ति पर पहली पत्नी के अधिकारों (Wife’s Property Rights) के बारे में जानकारी होती है, लेकिन दूसरी पत्नी के संपत्ति अधिकारों को लेकर अक्सर भ्रम बना रहता है। क्या दूसरी पत्नी अपने पति की संपत्ति में कोई हिस्सा या अधिकार मांग सकती है? कानून इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या कहता है, आइए विस्तार से समझते हैं।

कानून क्या कहता है: दूसरी पत्नी का संपत्ति अधिकार कब बनता है?

कानून के अनुसार, किसी भी महिला का अपने पति की संपत्ति में अधिकार है या नहीं, यह कई बातों पर निर्भर करता है। लेकिन जहां तक दूसरी पत्नी के अधिकार की बात है, यह मुख्य रूप से दो महत्वपूर्ण शर्तों पर निर्भर करता है:

  1. शादी की वैधता (Legality of Marriage): सबसे ज़रूरी शर्त यह है कि पति के साथ उसकी शादी कानूनी रूप से वैध (Legally Valid) होनी चाहिए।

  2. लागू होने वाले व्यक्तिगत/धार्मिक कानून (Applicable Personal/Religious Laws): संपत्ति के अधिकार उस धार्मिक या व्यक्तिगत कानून (जैसे हिंदू कानून, मुस्लिम कानून आदि) पर भी निर्भर करते हैं जो पति और पत्नी पर लागू होता है।

इसका सीधा मतलब यह है कि पति की संपत्ति पर दूसरी पत्नी का अधिकार हो सकता है, लेकिन इसके लिए उसकी शादी का कानूनी रूप से वैध होना अनिवार्य है।

हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दूसरी शादी कब होती है वैध?

भारत में, अगर हम हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act, 1955) की बात करें, तो इस कानून के तहत दूसरी शादी तभी कानूनी रूप से वैध मानी जाती है जब शादी के समय:

  • पति या पत्नी (यानी शादी करने वाले व्यक्ति) में से किसी का पहला जीवनसाथी जीवित न हो, यानी उसकी मृत्यु हो चुकी हो।

  • या फिर, पहले जीवनसाथी के साथ कानूनी रूप से तलाक (Legal Divorce) हो चुका हो और तलाक अंतिम (Final) हो गया हो।

अगर इन शर्तों में से कोई भी अधूरी रहती है और पति का पहला जीवनसाथी (पत्नी) शादी के समय जीवित है और उनसे कानूनी रूप से तलाक नहीं हुआ है, तो हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ऐसी दूसरी शादी को वैध नहीं माना जा सकता। यह शादी कानूनी रूप से अमान्य (Invalid) होती है।

वैध शादी की स्थिति में अधिकार:

अगर पति से दूसरी पत्नी की शादी हिंदू विवाह अधिनियम या लागू होने वाले अन्य व्यक्तिगत कानून के तहत कानूनी रूप से वैध है, तो उसे पति की संपत्ति में पहली पत्नी के समान ही अधिकार प्राप्त होते हैं। इसका मतलब है कि वैध दूसरी पत्नी और उसके बच्चों को पति की संपत्ति में कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heir) माना जाएगा।

पति की स्वअर्जित संपत्ति और पैतृक संपत्ति में अधिकार:

  • स्वअर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property): यह वह संपत्ति होती है जिसे पति ने खुद अपनी कमाई या संसाधनों से खरीदा या बनाया हो। इस संपत्ति पर पति का पूर्ण अधिकार होता है। वह जिसे चाहे, अपनी इच्छा से यह संपत्ति दे सकता है, चाहे वह अपनी पहली पत्नी, दूसरी पत्नी (अगर शादी वैध है), बच्चों या किसी और को हो। पति अपनी स्वअर्जित संपत्ति किसी वैध या अमान्य दूसरी पत्नी को भी वसीयत (Will) के माध्यम से दे सकता है।

  • पैतृक संपत्ति (Ancestral Property): यह वह संपत्ति होती है जो पति को उसके पिता, दादा या परदादा से विरासत में मिली हो। इस संपत्ति में पति का अधिकार जन्म से होता है। पैतृक संपत्ति के मामले में, दूसरी पत्नी केवल तभी दावा कर सकती है जब पति के साथ उसकी शादी कानूनी रूप से वैध हो। अगर शादी वैध नहीं है, तो दूसरी पत्नी का पति की पैतृक संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा।

अगर पति बिना वसीयत किए मर जाए तो क्या होगा?

यदि कोई हिंदू पुरुष अपनी स्वअर्जित संपत्ति की कोई वसीयत किए बिना मर जाता है, तो उसकी संपत्ति हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act, 1956) के अनुसार उसके कानूनी उत्तराधिकारियों में बंटती है। इस अधिनियम के तहत, पति की वैध दूसरी पत्नी और उससे हुए बच्चे भी कानूनी उत्तराधिकारी माने जाएंगे और उन्हें पहली पत्नी और उसके बच्चों के साथ संपत्ति में हिस्सा मिलेगा। लेकिन, अगर दूसरी शादी वैध नहीं थी, तो उस शादी से हुई महिला या बच्चों का पति की संपत्ति में कोई कानूनी उत्तराधिकार अधिकार नहीं होगा (हालांकि बच्चों को कुछ परिस्थितियों में अपने पिता की संपत्ति में अधिकार मिल सकता है, भले ही मां की शादी वैध न हो – यह एक अलग और जटिल कानूनी पहलू है)।

संक्षेप में, पति की संपत्ति में दूसरी पत्नी का अधिकार इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी शादी कानूनी रूप से वैध है या नहीं। अगर शादी वैध है (यानी पहले जीवनसाथी की मृत्यु हो गई थी या तलाक हो गया था), तो दूसरी पत्नी को पति की स्वअर्जित और पैतृक दोनों तरह की संपत्तियों में कानूनी अधिकार मिलेंगे। लेकिन अगर शादी वैध नहीं थी क्योंकि पहला जीवनसाथी जीवित था और तलाक नहीं हुआ था, तो दूसरी पत्नी का पति की संपत्ति में कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा।