Property Right : शादी एक पवित्र बंधन है, जो दो लोगों और दो परिवारों को जोड़ता है। शादीशुदा ज़िंदगी में जहां पति-पत्नी एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी होते हैं, वहीं संपत्ति से जुड़े अधिकार भी एक अहम पहलू होते हैं। अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या शादी करते ही पत्नी का पति की संपत्ति पर सीधा और बराबर का अधिकार हो जाता है? इस संबंध में कानूनी स्थिति क्या कहती है?
कानूनी जानकारों और विभिन्न अदालतों के फैसलों के मुताबिक, एक अहम कानूनी पहलू यह है कि सिर्फ शादी कर लेने से पत्नी को पति की अपनी कमाई हुई या विरासत में मिली संपत्ति में तुरंत मालिकाना हक नहीं मिल जाता है। यानी, शादी का रिश्ता अपने आप में पत्नी को पति की संपत्ति का सह-मालिक (co-owner) नहीं बना देता।
इसका सीधा मतलब यह है कि पति ने शादी से पहले जो संपत्ति खरीदी थी, या उसे अपने परिवार से विरासत में मिली है, उस पर पत्नी का अधिकार केवल शादी के आधार पर नहीं बनता। पति अपने जीवनकाल में उस संपत्ति का निपटारा अपनी मर्ज़ी से कर सकता है (कुछ अपवादों को छोड़कर जैसे संयुक्त परिवार की पैतृक संपत्ति में कुछ विशिष्ट मामले हो सकते हैं)।
तो फिर पत्नी के संपत्ति अधिकार क्या हैं?
हालांकि, इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि पत्नी के कोई संपत्ति अधिकार नहीं होते। पत्नी के कई महत्वपूर्ण अधिकार हैं:
-
भरण-पोषण का अधिकार (Right to Maintenance): पति की कानूनी जिम्मेदारी है कि वह अपनी पत्नी का भरण-पोषण करे। इसमें रहने का खर्च, खाना-पीना, कपड़े, और अन्य ज़रूरी ज़रूरतें शामिल हैं।
-
वैवाहिक घर में रहने का अधिकार (Right to Reside in Matrimonial Home): पत्नी को पति के साथ वैवाहिक घर में रहने का अधिकार है, भले ही वह घर पति के नाम पर हो।
-
स्त्रीधन (Stridhan): शादी के समय या शादी के बाद पत्नी को मिले सभी उपहार, गहने, पैसे या संपत्ति उसका ‘स्त्रीधन’ कहलाता है। इस पर पूरी तरह से पत्नी का अधिकार होता है और पति या ससुराल वाले इस पर दावा नहीं कर सकते।
-
विरासत का अधिकार (Right to Inheritance): पति की मृत्यु के बाद, उसकी अपनी कमाई हुई संपत्ति में पत्नी का हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) जैसे कानूनों के तहत एक निश्चित हिस्सा होता है, खासकर तब जब पति ने कोई वसीयत न छोड़ी हो।
इसलिए, यह समझना ज़रूरी है कि शादी एक व्यक्तिगत और सामाजिक बंधन है, जबकि संपत्ति अधिकार अलग-अलग कानूनों (जैसे संपत्ति कानून, उत्तराधिकार कानून) द्वारा शासित होते हैं। शादी से पत्नी को पति की संपत्ति में सीधा मालिकाना हक नहीं मिलता, लेकिन भरण-पोषण और पति की मृत्यु के बाद विरासत जैसे महत्वपूर्ण अधिकार ज़रूर मिलते हैं।