Nishikant Dubey SC Row

Nishikant Dubey SC Row : सुप्रीम कोर्ट पर निशिकांत दुबे का बयान: BJP ने झाड़ा पल्ला, तो कांग्रेस का तीखा हमला – ‘नोटिस भेजा? ये पाखंड है

Nishikant Dubey SC Row : देश की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है! वजह बने हैं बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे, जिनके सुप्रीम कोर्ट और चीफ़ जस्टिस को लेकर दिए गए एक बयान ने सियासी गलियारों में आग लगा दी है। कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाते हुए बीजेपी पर तीखा हमला बोला है, वहीं बीजेपी ने अपने सांसद के बयान से किनारा कर लिया है। आइए समझते हैं पूरा मामला।

क्या कहा था निशिकांत दुबे ने? 

शनिवार (संभवतः पिछली तारीख का संदर्भ) को बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एक चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर कानून बनाने का काम भी सुप्रीम कोर्ट ही करने लगेगी, तो फिर संसद को बंद कर देना चाहिए। इस बयान के आते ही हंगामा मच गया। विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने इसे न सिर्फ न्यायपालिका का अपमान बताया, बल्कि इसे संसद और संविधान की आत्मा पर सीधा हमला करार दिया।

सोशल मीडिया से संसद तक मचा बवाल, BJP ने बनाई दूरी

दुबे का बयान सामने आते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई और राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बढ़ते विवाद को देखते हुए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सामने आकर सफाई देनी पड़ी। उन्होंने साफ कहा कि निशिकांत दुबे के विचार उनके निजी हैं और पार्टी का उनके इस बयान से कोई लेना-देना नहीं है।

कांग्रेस का पलटवार: जयराम रमेश बोले – ‘यह पाखंड है!’

बीजेपी के पल्ला झाड़ने पर कांग्रेस चुप नहीं बैठी। पार्टी के वरिष्ठ नेता और महासचिव जयराम रमेश ने बीजेपी अध्यक्ष की प्रतिक्रिया को ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोशिश बताते हुए इसे ‘Entire Political Hypocrisy’ (संपूर्ण राजनीतिक पाखंड) करार दिया।

उन्होंने तीखे सवाल पूछते हुए कहा:

  1. क्या बीजेपी अध्यक्ष का अपने सांसद के बयान से खुद को अलग कर लेना काफी है?

  2. क्या उन्होंने (नड्डा ने) निशिकांत दुबे को कारण बताओ नोटिस जारी किया है?

  3. उन्होंने (रमेश ने) आरोप लगाया कि बीजेपी के ही एक अन्य ‘अति विशिष्ट व्यक्ति’ (संभवतः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अप्रत्यक्ष संदर्भ) भी लगातार न्यायपालिका पर अस्वीकार्य टिप्पणियां कर रहे हैं, उस पर बीजेपी अध्यक्ष चुप क्यों हैं? क्या पार्टी उन बयानों का समर्थन करती है?

  4. अगर प्रधानमंत्री मोदी की इन हमलों पर मौन स्वीकृति नहीं है, तो ऐसे सांसदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?

जयराम रमेश ने साफ कहा कि बीजेपी के इस तरह पल्ला झाड़ने से कोई मूर्ख नहीं बनने वाला।

सिर्फ एक बयान नहीं, बड़ी बहस का मुद्दा

निशिकांत दुबे का यह बयान अब सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं रह गया है। इसने संविधान, उसकी व्याख्या, और विधायिका-न्यायपालिका के बीच शक्तियों के संतुलन को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट है, जो अपने फैसलों से सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने का प्रयास कर रही है। दूसरी तरफ, कुछ राजनीतिक बयान न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाकर संस्थाओं के बीच टकराव का माहौल बना रहे हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह बहस आगे क्या मोड़ लेती है और क्या संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान और संतुलन को बनाए रखने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।