CJI Sanjiv Khanna: देश के सबसे बड़े ड्रग्स तस्करी मामलों में से एक, मुंद्रा पोर्ट ड्रग्स मामले (Mundra Port Drugs Case) से जुड़ा एक बड़ा अपडेट सामने आया है। इस केस में आरोपी दिल्ली के एक बड़े कारोबारी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उनकी जमानत याचिका (Bail Application) को खारिज कर दिया है।
यह मामला इसलिए भी बेहद गंभीर है क्योंकि इसकी जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इसके तार सीधे तौर पर आतंकवाद (Terrorism) से जुड़े होने का आरोप लगाया है।
क्या है पूरा मामला और NIA का आरोप?
साल 2021 में गुजरात के मुंद्रा पोर्ट (Mundra Port, Gujarat) पर अफगानिस्तान से आए दो कंटेनरों से भारी मात्रा में करीब 3,000 किलोग्राम हेरोइन (Heroin) जब्त की गई थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत हजारों करोड़ रुपये आंकी गई थी। इस मामले ने देश भर में सनसनी मचा दी थी।
NIA ने इस मामले की गहन जांच शुरू की और इस दौरान कई गिरफ्तारियां हुईं। NIA का आरोप है कि इस ड्रग्स तस्करी का पैसा सीधा आतंकी गतिविधियों को फंड करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। जांच एजेंसी ने दावा किया है कि इस रैकेट के तार पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) से जुड़े हुए हैं और ड्रग्स की बिक्री से होने वाला मुनाफा इस संगठन तक पहुंच रहा था।
दिल्ली के कारोबारी पर क्या हैं आरोप?
इस मामले में गिरफ्तार दिल्ली के जिस कारोबारी की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की है, उस पर NIA ने आरोप लगाया है कि वह इस ड्रग्स तस्करी रैकेट का हिस्सा था और उसने इस अवैध धंधे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। NIA के मुताबिक, इस कारोबारी के लिंक अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करों और टेरर फंडिंग नेटवर्क से जुड़े हुए पाए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों नहीं दी जमानत?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता और NIA द्वारा लगाए गए आरोपों को ध्यान में रखते हुए कारोबारी की जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने माना कि जब मामला न सिर्फ ड्रग्स तस्करी का हो, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़े गंभीर आरोप भी हों, तो ऐसे में आरोपी को जमानत देना फिलहाल उचित नहीं है। NIA ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए बताया कि आरोपी की संलिप्तता के पर्याप्त सबूत हैं और जांच अभी जारी है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला साफ दिखाता है कि देश की शीर्ष अदालत ड्रग्स तस्करी और आतंकवाद से जुड़े मामलों में कितनी सख्त है। यह फैसला ऐसे अपराधों में शामिल अन्य लोगों के लिए भी एक कड़ा संदेश है। फिलहाल, आरोपी कारोबारी को जेल में ही रहना होगा और केस आगे बढ़ेगा।