Asaduddin Owaisi on all-party meeting

Asaduddin Owaisi on all-party meeting: ‘क्या PM 1 घंटा भी नहीं दे सकते?’ – पहलगाम हमले पर सर्वदलीय बैठक से ओवैसी बाहर, रिजिजू से हुई नोकझोंक, पूछा- हमें क्यों नहीं बुलाया?

Asaduddin Owaisi on all-party meeting: कश्मीर के पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले पर पूरा देश एकजुट है, लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक को लेकर एक नया सियासी घमासान शुरू हो गया है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नाराज़गी ज़ाहिर की है कि उनकी पार्टी को इस अहम बैठक में न्योता ही नहीं दिया गया!

क्या है पूरा मामला?

केंद्र सरकार आज (24 अप्रैल – लेख में दी गई तारीख के अनुसार) पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सभी राजनीतिक दलों के साथ एक बैठक कर रही है। इस बैठक का मकसद है सभी दलों को हमले से जुड़ी जानकारी देना, उनके विचार सुनना और आतंकवाद के खिलाफ देश की एकजुटता दिखाना। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह इस बैठक में मौजूद रहेंगे, और अध्यक्षता राजनाथ सिंह करेंगे।

ओवैसी का आरोप और रिजिजू से बातचीत:

तभी AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि उन्हें इस बैठक में बुलाया ही नहीं गया। उन्होंने बताया कि इस बारे में उनकी केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से फोन पर बात भी हुई।

  • ओवैसी के मुताबिक रिजिजू ने क्या कहा:

    • “हम सिर्फ उन पार्टियों को बुलाने की सोच रहे हैं जिनके 5 या 10 सांसद हैं।”

    • जब ओवैसी ने पूछा कि कम सांसदों वाली पार्टियों को क्यों नहीं बुलाया जा रहा, तो जवाब मिला – “बैठक बहुत लंबी हो जाएगी।”

    • ओवैसी ने जब पूछा, “फिर हमारा क्या?” तो रिजिजू ने कथित तौर पर मज़ाक में कहा, “आपकी आवाज़ वैसे भी बहुत तेज़ है।”

ओवैसी का पलटवार और पीएम मोदी से अपील:

इस बातचीत से ओवैसी खासे नाराज़ हैं। उन्होंने कहा:

  • यह देश की बैठक है, पार्टी की नहीं: “यह बीजेपी या किसी एक पार्टी की बैठक नहीं है। यह एक सर्वदलीय बैठक है, जिसका मकसद आतंकवाद और उन्हें पनाह देने वालों के खिलाफ एक मजबूत, एकजुट संदेश देना है।”

  • समय का सवाल: “क्या प्रधानमंत्री मोदी सभी पार्टियों की बात सुनने के लिए एक घंटा ज़्यादा नहीं दे सकते? आपकी अपनी पार्टी (बीजेपी) के पास भी अकेले बहुमत नहीं है।”

  • हर सांसद का महत्व: “चाहे किसी पार्टी का 1 सांसद हो या 100, वे सभी भारत के लोगों द्वारा चुने गए हैं। इतने बड़े राष्ट्रीय मुद्दे पर हर किसी की बात सुनी जानी चाहिए।”

  • पीएम मोदी से सीधी अपील: हैदराबाद के सांसद ने इसे राजनीति का नहीं, बल्कि देश का मुद्दा बताते हुए सीधे प्रधानमंत्री से अनुरोध किया, “मैं प्रधानमंत्री से अनुरोध करता हूं कि इस बैठक को एक सच्ची सर्वदलीय बैठक बनाया जाए। संसद में जिन-जिन पार्टियों के सांसद हैं, उन सभी को इस बैठक में बुलाया जाना चाहिए।”

क्यों होती हैं सर्वदलीय बैठकें?

जब भी देश पर कोई बड़ा संकट आता है, खासकर सुरक्षा से जुड़ा, तो सरकार अक्सर सभी राजनीतिक दलों को एक साथ बुलाकर बातचीत करती है। ऐसा पहले भी पुलवामा हमले (2019) या चीन के साथ तनाव (2020) के समय हो चुका है।

  • मकसद:

    • देश की एकता और एकजुटता दिखाना।

    • सभी दलों को स्थिति की सही जानकारी देना।

    • मिलकर समाधान पर विचार करना।

    • विपक्ष को सरकार से सवाल पूछने और अपनी बात रखने का मौका देना।

अब देखना यह है कि ओवैसी की अपील के बाद क्या सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है, या यह बैठक कुछ चुनिंदा दलों तक ही सीमित रहती है। लेकिन इस विवाद ने राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे पर भी राजनीतिक खींचतान को सामने ला दिया है।