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Join NowMau Nagar Palika: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के “जीरो टॉलरेंस” (Zero Tolerance) की नीति पर मऊ जनपद से गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। मंगलवार को नगर पालिका परिषद (Nagar Palika Parishad) की बोर्ड बैठक में उस समय भारी हंगामा मच गया, जब सभासदों ने कैमरे के सामने खुलेआम “कमीशन राज” (Commission Raj) की पोल खोल दी। इस हंगामे ने मऊ की राजनीति में भूचाल ला दिया है, जब सभासद अब्दुल सलाम ने नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा (Minister AK Sharma), अधिशासी अधिकारी (EO), और चेयरमैन पर बेहद गंभीर आरोप लगाए।
70% ठेके मंत्री के दरबार में! जाति और पहुंच का खेल?
दरअसल, नगर पालिका की बैठक के दौरान सभासद अब्दुल सलाम ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि मऊ नगर पालिका में कोई भी टेंडर (Tender) मंत्री के दरबार की मंजूरी के बिना नहीं निकलता। उन्होंने यह भी दावा किया कि लगभग 70% ठेके नगर विकास मंत्री, उनके भाई और करीबी लोगों को ही दिए जाते हैं। सलाम ने तीखे शब्दों में कहा कि ठेकेदारों का चयन केवल जाति (caste) और पहुंच (connections) के आधार पर होता है। उन्होंने विशेष रूप से बलिया, देवरिया और आजमगढ़ से आए ऊंची जाति के भूमिहार-पंडित ठेकेदारों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें ही ठेके मिलते हैं। क्या सभासद केवल हाथ उठाने के लिए बैठे हैं? यह कहते हुए उन्होंने अपने आरोपों को 100% सही बताया और चुनौती दी कि इसकी पुष्टि मंत्री से ही की जा सकती है।
पलटवार: चेयरमैन पर 25% कमीशन का आरोप!
वहीं, बैठक में मौजूद अन्य सभासद सत्यप्रकाश और राजीव सैनी ने मंत्री का बचाव करते हुए नगर पालिका अध्यक्ष अरशद जमाल (Chairman Arshad Jamal) पर पलटवार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यक्ष खुद 25% कमीशन लेकर अपने पसंदीदा ठेकेदारों को काम दिलाते हैं। सैनी ने यह भी कहा कि अल्पमत में होने के बावजूद प्रस्तावों को जबरन पास किया जाता है, और बैठकें बीच में ही छोड़ दी जाती हैं। उन्होंने कहा कि ठेकेदार घटिया गुणवत्ता का काम करते हैं और जब शिकायत की जाती है, तो उन पर ही कमीशन मांगने का इल्जाम लगा दिया जाता है।
कैमरे पर सब रिकॉर्ड हुआ! मऊ की सियासत में तहलका!
बैठक में उठा यह पूरा विवाद कैमरे पर रिकॉर्ड हो गया है, जिसने मऊ की राजनीति में तहलका मचा दिया है। सभासदों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और कमीशन के खेल की खुली चर्चा ने सीधा प्रशासन और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या मऊ नगर पालिका में टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार (corruption) और जातिगत आधार पर भेदभाव हो रहा है? यह सवाल अब आम जनता के बीच चर्चा का मुख्य विषय बन गया है।
जांच होगी या मामला दबेगा? जनता की निगाहें टिकीं!
इस “कैमरा कांड” के बाद अब सभी की निगाहें नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा और जिला प्रशासन पर टिकी हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस मामले की निष्पक्ष जांच (impartial inquiry) होगी? क्या दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, या यह मामला भी अन्य भ्रष्टाचार के आरोपों की तरह फाइलों में दब जाएगा? इस घटना ने मऊ की सियासत में मानो भूचाल खड़ा कर दिया है और जनता जवाब चाहती है।