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Join NowUttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के निवासियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है! राज्य सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में, जमीन रजिस्ट्री (Land Registry) से जुड़े नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव करने की तैयारी कर रही है। यदि यह निर्णय लागू होता है, तो जमीन रजिस्ट्री की पूरी व्यवस्था (Land Registry System) ही बदल जाएगी, जिससे आम जनता को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। फिलहाल, जमीन या किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री करवाते समय सरकार को सर्किल रेट (Circle Rate) के अनुसार स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty) और पंजीकरण शुल्क (Registration Fee) का भुगतान करना होता है। अब योगी सरकार का लक्ष्य इन सर्किल दरों को आम जनता की पहुंच के अनुसार निर्धारित करना है, ताकि प्रक्रिया अधिक पारदर्शी (Transparent) और सुलभ (Accessible) बन सके। सरकार मौजूदा कृषि (Agriculture), आवासीय (Residential), और व्यावसायिक (Commercial) दरों में मौजूद कमियों को दूर करके रजिस्ट्री सिस्टम को अपडेट करने की योजना बना रही है।
मुख्यमंत्री का स्पष्ट आदेश: क्या बदलेगा जमीन का वर्गीकरण?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने एक स्पष्ट आदेश में यह भी साफ किया है कि जमीन के वर्गीकरण (Classification of Land) में अब अधिक कड़ाई बरती जाएगी। उनके निर्देशानुसार, यदि कृषि की जमीन पर केवल एक या दो मकान (One or two houses) बनाए गए हैं, तो उस जमीन को आवासीय घोषित नहीं किया जाएगा। इसी तरह, यदि कृषि जमीन पर एक या दो दुकानें (One or two shops) बनाई गई हैं, तो उसे भी व्यावसायिक नहीं माना जाएगा। इसका सीधा मतलब यह है कि ज़मीन का वर्गीकरण उसके मूल स्वरूप (Original Nature) के आधार पर ही होगा, न कि छोटे-मोटे निर्माणों के आधार पर। यह नियम उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो कृषि भूमि पर छोटी निर्माण इकाइयां बनाकर उसे अनधिकृत रूप से आवासीय या व्यावसायिक दिखा रहे थे।
DM से सर्किल रेट की जानकारी मांगी गई: नियमों में पारदर्शिता की तैयारी!
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक (High-level Meeting) में जमीन रजिस्ट्री से जुड़े विभिन्न नियमों पर विस्तार से चर्चा हुई। इस प्रक्रिया के तहत, स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग (Stamps and Registration Department) ने राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारियों (District Magistrates – DM) से सर्किल रेट्स (Circle Rates) के बारे में नवीनतम जानकारी और प्रस्ताव मांगे हैं। इस जानकारी के आधार पर ही भविष्य के निर्णय लिए जाएंगे। यह महत्वपूर्ण है कि यूपी में पिछले कई वर्षों से संपत्तियों की रजिस्ट्री के लिए सर्किल दरें तय नहीं की गई हैं, और जो पुरानी दरें तय भी की गई थीं, उनमें कई विसंगतियां (Discrepancies) थीं। बैठक के दौरान जिन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा हुई है, वे इस प्रकार हैं:
रजिस्ट्री सिस्टम में संभावित बड़े बदलाव:
बैठक में जिन मुख्य प्रस्तावों पर चर्चा हुई, वे registry system को आम आदमी के लिए सुगम और उचित बनाने पर केंद्रित हैं:
- आम आदमी को राहत देने वाली सर्किल दरें: यह मांग की जा रही है कि रजिस्ट्री के लिए सर्किल दरें ऐसी तय की जाएं जिससे आम आदमी पर वित्तीय बोझ (Financial Burden) कम हो और वे आसानी से अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री करा सकें।
- समान दरें, समान वर्गीकरण: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कृषि, आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए निर्धारित दरें स्पष्ट हों और उनमें किसी प्रकार की भिन्नता (Discrepancy) न हो। कृषि भूमि के लिए गलती से आवासीय या आवासीय भूमि के लिए व्यावसायिक सर्किल दरें तय न की जाएं।
- कृषि भूमि का उचित वर्गीकरण: जैसा कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है, यदि कृषि भूमि पर केवल एक-दो मकान या दुकानें बनती हैं, तो उस भूमि को संबंधित श्रेणी (आवासीय या व्यावसायिक) में परिवर्तित नहीं किया जाएगा। यह नियम भू-माफियाओं (Land Mafias) पर नकेल कसने में भी सहायक हो सकता है।
- सामूहिक निर्माणों पर नीति: यह भी प्रस्ताव है कि यदि एक ही क्षेत्र में कई मकान बने हैं, तो उस पूरे क्षेत्र को आवासीय माना जाए, और यदि कई दुकानें हैं, तो उन्हें व्यावसायिक क्षेत्र के दायरे में लाया जा सके। यह निर्णय उस स्थान की वास्तविक उपयोगिता के अनुसार होगा।
- मनमानी दरों पर रोक: ‘मनमाने तरीके से सर्किल दरें तय करने’ की पुरानी प्रथा को समाप्त करने की मांग की जा रही है, ताकि दरों के निर्धारण में पारदर्शिता लाई जा सके।
- पड़ोसी गावों में दर की भिन्नता का समाधान: अलग-अलग गावों या क्षेत्रों में सर्किल रेट में भारी अंतर को भी ख़त्म करने का प्रयास किया जाएगा ताकि कहीं अधिक और कहीं कम दरें होने की समस्या का समाधान हो सके।
- सड़क के नजदीक की दुकानों का व्यावसायिक वर्गीकरण: सड़क के 50 मीटर के दायरे में (within 50 meters of the road) यदि एक ही जगह पर कई दुकानें (Multiple Shops) बनी हैं, तो उन्हें ‘व्यावसायिक क्षेत्र’ (Commercial Area) के रूप में ही माना जाएगा, भले ही वह कृषि भूमि पर क्यों न हो।
ये प्रस्तावित बदलाव उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) और संपत्ति बाजार (Property Market) पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। इससे न केवल राज्य के खजाने पर असर पड़ेगा, बल्कि आम लोगों को अपनी संपत्ति का सही मूल्य मिलेगा और उन्हें धोखाधड़ी से भी बचाया जा सकेगा। यह योगी सरकार की सुशासन (Good Governance) की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिसकी प्रासंगिकता केवल भारत में ही नहीं, बल्कि USA और UK जैसे देशों में भी रियल एस्टेट नियमों की तुलना करते समय ध्यान में रखी जाएगी।